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बॉर्न अगेन
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ह स्मरण रहे: अपना बचपन फिर से प्राप्त करो। बचपन को लौटा
लाने की अभीप्सा सभी करते हैं, लेकिन उसे पाने के लिए करता कोई कुछ भी नहीं। अभीप्सा सभी करते हैं। लोग कहे चले जाते हैं कि बचपन तो स्वर्ग था, और कवि बचपन के सौंदर्य पर कविताएं लिखे चले जाते हैं। तो तुम्हें रोक कौन रहा है? पा लो फिर से! बचपन को फिर से प्राप्त करने का यह अवसर मैं तुम्हें देता हूं।
बॉर्न अगेन
आनंदपूर्ण हो रहो। आनंदित होना सकते हो। कोई कारण हो, तभी तुम रो है। मैं तुम्हें वापस उस बिंदु पर फेंक देना कठिन तो होगा, क्योंकि बहुत ज्यादा तुम सकते हो।
चाहता हूं जहां से तुमने विकसित होना बंद ढांचे में ढले हुए हो। तुमने चारों ओर एक ज्ञान को एक ओर रख दो, गंभीरता को कर दिया था। तुम्हारे बचपन में एक ऐसा कवच ओढ़ा हुआ है, जिसे छोड़ना या परे कर दो। इन दिनों के लिए बिलकुल बिंदु आया था जब तुम्हारा विकास रुक उतार कर रखना मुश्किल है। न तुम नाच हलके-फुलके हो जाओ। खोने को तो गया और तुम नकली होना शुरू हो गए। हो सकते हो, न गा सकते हो, न कूद सकते तुम्हारे पास कुछ भी नहीं है! अगर कुछ न सकता है तुम क्रोधित हुए होओ-छोटा हो, न यूं ही चीख सकते हो, न हंस और भी मिले तो भी खोओगे तो कुछ भी नहीं। सा बच्चा हठ कर रहा है, क्रोध कर रहा मुस्कुरा सकते हो। अगर तुम हंसना भी आनंदित होने में तुम क्या खो सकते हो? है-और तुम्हारे पिता या तुम्हारी मां ने चाहो, तो पहले तुम चाहते हो कि कोई चीज लेकिन मैं तुमसे कहता हूं: तुम फिर वही तुमसे कहा, “क्रोध मत करो! यह अच्छा हो जिस पर हंस सको। तुम यूं ही नहीं हंस नहीं रहोगे जो हो।
नहीं है।" तुम स्वाभाविक थे, लेकिन एक सकते। कोई कारण हो, तभी तुम हंस इसी कारण आनंदपूर्ण होने पर मेरा जोर विभाजन निर्मित कर दिया गया और तुम्हारे
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