SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 67
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ मिस्टिक रोज़ ध्यान भी रोने लगेंगे, क्योंकि वे भी आंसुओं से और उत्सवपूर्ण हो गया है। न इसका कोई कारण होता है, न कोई भरे हुए हैं। वे आंसू आंखों के बहुत करीब इस संसार को बड़ी जरूरत है कि तार्किक व्याख्या। यह रहस्यमय है, अतीत के सारे निषेधों से हृदय की अच्छी मिस्टीरियस है; इसीलिए “मिस्टिक रोज़" __ और चीखना, रोना, हंसना स्वास्थ्यप्रद तरह सफाई हो जाए। और हंसी व आंसू का प्रतीक लिया गया है। है। अब वैज्ञानिक भी यह पता लगा रहे हैं दोनों काम कर सकते हैं। आंसू तुम्हारे कि चीखना, रोना और हंसना केवल भीतर छिपी सारी पीड़ा को बाहर निकाल सात दिन तक “या-ह!" के उदघोष शारीरिक रूप से ही नहीं मानसिक रूप से देंगे और हंसी उस सब को ले जाएगी से प्रारंभ कर बिना किसी कारण के भी स्वास्थ्यप्रद हैं। ये चीजें तुम्हें जिसने तुम्हारे आनंद को रोका हुआ है। पैंतालीस मिनट तक हंसते रहें। आप स्वस्थ-चित्त रखने में बहुत सक्षम हैं। पूरी एक बार तुम्हें कला आ जाए तो तुम बहुत बैठ सकते हैं या लेट सकते हैं। कुछ की पूरी मनुष्यता मानसिक रूप से थोड़ी हैरान होओगेः अभी तक यह बात क्यों लोग पाते हैं कि पीठ के बल लेटना पेट असंतुलित हो गई है क्योंकि कोई भी पूरी नहीं बताई गई? इसका एक कारण है की मांस-पेशियों को ढीला छोड़ने में तरह से नहीं हंसता, क्योंकि चारों ओर के किसी ने कभी चाहा ही नहीं कि मनुष्यता सहायक होता है और ऊर्जा के बहाव को लोग कहेंगे, “क्या कर रहे हो? क्या तुम को गुलाब के फूल जैसी ताजगी और आसान करता है। कुछ लोग पाते हैं कि कोई बच्चे हो? इस उम्र में? तुम्हारे बच्चे सुवास और सौंदर्य मिले। एक चादर ओढ़ लेने से, या पैरों को क्या सोचेंगे? शांति रखो!" इस प्रवचनमाला को मैंने “मिस्टिक ऊपर हवा में उठा लेने से उनमें छिपा - यदि तुम बिना किसी कारण के, बस रोज़" कहा है-रहस्यदर्शी गुलाब। हंसता, खिलखिलाता बच्चा बाहर आ एक व्यायाम की तरह, एक ध्यान की तरह “या-हू" मंत्र है तुम्हारे केंद्र में मिस्टिक जाता है। जोर है अपने अंदर के हास्य रोओ और चीखो...तो कोई विश्वास ही रोज़ को ले आने के लिए, तुम्हारे केंद्र को को खोजने पर, ऐसा हास्य जो अकारण नहीं करेगा। आंसुओं को कभी भी ध्यान खोलने और तुम्हारी सुवास को मुक्त है, इसलिए सामान्यतः आपकी आंखें की तरह स्वीकार नहीं किया गया है। और करने के लिए। और मिस्टिक रोज़ तुम्हारी बंद रहती हैं। फिर भी, और हंसी को मैं तुमसे कहता हूं कि वे न केवल ध्यान अंतस-सत्ता की परितृप्ति है।। जन्म देने के लिए अपने मित्रों को एक हैं, वरन औषधि भी हैं। तुम्हारी आंखों की नजर देख लेना भी ठीक है। क्षमता भी बेहतर हो जाएगी और तुम्हें अपने शरीर को हल्के-फुल्के ढंग से, बेहतर अंतर्दृष्टि भी मिलेगी। निर्देश अपने अंदर छिपे बच्चे की निर्दोषता ___ मैं तुम्हें एक बहुत बुनियादी विधि दे और सहजता में लोटने दें, लुड़कने दें। रहा हूं, जो ताजी है और पहले कभी तीन चरणों में यह इक्कीस दिवसीय और अपनी पूरी समग्रता से हंसें। उसका उपयोग नहीं हुआ। और निस्संदेह, ध्यान अकेले भी किया जा सकता है। । कभी-कभी आप शायद कोई अवरोध यह विश्वव्यापी होने वाली है क्योंकि महसूस कर सकते हैं, जोकि सदियों से इसके प्रभावों को कोई भी देख लेगा कि 1. हंसी के लिए निर्देश वहां हैं, आपके हास्य को अवरुद्ध किए व्यक्ति अधिक युवा हो गया है, अधिक हुए हैं। जब ऐसा हो तो “या-हू!" का प्रेमपूर्ण हो गया है, अधिक प्रसादपूर्ण हो प्रामाणिक हास्य किसी विषय-वस्तु के उदघोष करें या जिबरिश (अनर्गल गया है; वह अधिक लोचपूर्ण और कम प्रति नहीं होता। यह तुममें वैसे ही उठता है ध्वनियां) करना शुरू कर दें जब तक दुराग्रही हो गया है; वह अधिक आनंदित जैसे किसी वृक्ष में कोई फूल खिलता है। कि हास्य पुनः प्रारंभ न हो जाए। 51
SR No.002367
Book TitleDhyanyog Pratham aur Antim Mukti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1990
Total Pages320
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy