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ध्यान की विधियां
दबाते हैं...और पीड़ा दबाई जाती है, तुम उन्हें रोके हुए हो; बस उन्हें रोको बार तुम्हारी हंसी पूरी हो जाए तो अचानक क्योंकि पीड़ा कोई नहीं चाहता। तुम मत। और जब भी तुम्हें लगे कि वे नहीं तुम स्वयं को आंसुओं और पीड़ा से भरा पीड़ित होना नहीं चाहते, इसलिए उसको निकल रहे, तो कहो, “या-बू"! हुआ पाओगे। लेकिन वह भी एक बड़ी दबा लेते हो, तुम बच जाते हो, तुम कहीं ये शुद्ध ध्वनियां हैं, जिनका तुम्हारी निर्भार करने वाली घटना होगी।
और देखने लगते हो। लेकिन पीड़ा बनी सारी हंसी और तुम्हारे सारे आंसुओं को जन्मों-जन्मों के पीड़ा और संताप मिट रहती है। और मंगोलियन धारणा थी—मैं निकालकर और तुम्हें पूरी तरह स्वच्छ जाएंगे। यदि तुम इन दो परतों से मुक्ति पा भी उससे सहमत हूं-कि जन्मों-जन्मों करने के लिए एक विधि की तरह उपयोग सको तो तुमने स्वयं को खोज लिया। की पीड़ा तुममें इकट्ठी होती जाती है; और किया जाता है, ताकि तुम फिर से एक 'या-हू' या 'या-बू' शब्दों में कोई अर्थ यह पीड़ा का लगभग एक कठोर कवच निर्दोष बच्चे बन सको।
नहीं है। ये बस विधियां हैं, ध्वनियां जो बन जाती है।
अंततः, तीसरा चरण है साक्षित्व- अपनी अंतस-सत्ता में प्रवेश करने के एक यदि तुम भीतर जाओ तो तुम्हें दोनों शिखर पर बैठा द्रष्टा। अंततः, हंसी और विशेष उद्देश्य के लिए प्रयोग की जा चीजें मिलेंगी, हंसी और आंसू। इसीलिए आंसुओं के बाद केवल एक साक्षी मौन सकती हैं। कई बार ऐसा होता है कि हंसने से, बचता है। साक्षी स्वतः अपने आप में मैंने कई ध्यान विधियां खोजी हैं, अचानक तुम्हारे आंसू भी साथ-साथ निरोधक गुणवाला है। जब तुम रोने के लेकिन शायद यह सबसे सारभूत और आने लगते हैं-अजीब बात है, क्योंकि : साक्षी होते हो तो वह रुक जाता है, प्रसुप्त बुनियादी होगी। यह पूरे संसार को साधारणतः हम सोचते हैं कि वे विपरीत हो जाता है। यह ध्यान हंसी और आंसुओं आच्छादित कर सकती है...। हैं। जब तुम आंसुओं से भरे होते हो तो से पहले ही मुक्ति दिलवा देता है, ताकि हर समाज ने तुम्हारे सुखों और तुम्हारे वह हंसने का समय नहीं है, या जब तुम तुम्हारे साक्षित्व में निरोध के लिए कुछ आंसुओं को रोककर बहुत नुकसान हंस रहे हो तो वह आंसुओं के लिए ठीक शेष न रहे। फिर साक्षित्व एक शुद्ध पहुंचाया है। यदि कोई वृद्ध व्यक्ति रोने मौसम नहीं है। लेकिन अस्तित्व धारणाओं आकाश को खोल देता है। तो सात दिनों लगे तो तुम कहोगे, “क्या करते हो? तुम्हें
और विचारधाराओं में विश्वास नहीं तक बस एक स्पष्टता का अनुभव करो। शरम आनी चाहिए; तुम कोई छोटे बच्चे करता; अस्तित्व तुम्हारी सब धारणाओं यह बिलकुल मेरा ध्यान है।
नहीं हो कि किसी ने तुम्हारा केला छीन का अतिक्रमण करता है, जो द्वैतवादी हैं, तुम हैरान होओगे कि कोई ध्यान तुम्हें लिया और तुम रोने लगे। दूसरा केला ले जो द्वैत पर आधारित हैं। दिन और रात, इतना कुछ नहीं दे सकता जितना कि यह लो, लेकिन रोओ मत।" हंसी और आंसू, पीड़ा और आनंद सब छोटी-सी विधि। कई ध्यान विधियों में जरा करके देखो-सड़क पर खड़े एक साथ आते हैं।
मेरा यह अनुभव रहा है कि जो करना है होकर और रोना शुरू कर दो और तुम्हें - जब कोई व्यक्ति अपनी अंतर्तम सत्ता वह यह कि तुम्हारे भीतर से दो परतें सांत्वना देने के लिए एक भीड़ इकट्ठी हो में पहुंचता है तो वह पाएगा कि पहली तह तोड़नी हैं। तुम्हारी हंसी को दबाया गया जाएगी: “रोओ मत! जो भी हुआ हो, हंसी की है और दूसरी तह पीड़ा की, है; तुम्हें कहा गया है, "हंसो मत, यह भूल जाओ कि वह हुआ।" कोई नहीं आंसुओं की है।
बड़ी गंभीर बात है।" किसी चर्च में या जानता क्या हुआ है, कोई तुम्हारी मदद तो सात दिन के लिए तुम्हें स्वयं को किसी यूनिवर्सिटी की क्लास में तुम्हें नहीं कर सकता, लेकिन सभी कोशिश अकारण ही रोने और चीखने देना हंसने की अनुमति नहीं है...।
करेंगे- “रोओ मत!" और इसका कारण है-आंसू निकलने को तैयार ही बैठे हैं। तो पहली परत हंसी की है, लेकिन एक यह है कि यदि तुम रोते चले जाओ तो वे