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________________ ध्यान का विज्ञान सकते। वह सजगता तो तुम्हीं को निर्मित से सीख सकते हैं कि वे किस प्रकार की की संभावना के पार है। लेकिन करनी होगी, परंतु ये यंत्र दस मिनट के तरंगें लोगों में पैदा करते हैं, और उन तरंगों टेक्नालॉजी जो तुम्हें दे सकती उसे निश्चित भीतर एक ऐसी संभावना निश्चित ही को वे अपने वाद्यों से निर्मित करना शुरू रूप से उपयोग किया जा सकता है। ध्यान निर्मित कर सकते हैं जो तुम वर्षों के प्रयास कर सकते हैं। उन यंत्रों की जरूरत नहीं है, में छलांग लेने के एक सुंदर माध्यम की में भी निर्मित न कर पाते। संगीतज्ञ तुम्हारे लिए उन तरंगों को पैदा कर भांति उसका उपयोग हो सकता है। तो मैं इन तकनीकी यंत्रों के विरुद्ध नहीं सकते हैं, और तुम निद्रा में उतरने लगोगे! और एक बार तुम्हें होश का स्वाद लग हूं, मैं उनके पक्ष में हूं। मैं तो बस इतना ही परंतु यदि तुम गहनतम निद्रा में भी जाग्रत जाए, शायद कुछ बार और यंत्र सहयोगी चाहता हूं कि जो लोग संसार भर में उन रह सको, जब तुम देखो कि बस एक और हो सकता है ताकि तुम्हारा होश यंत्रों का प्रसार कर रहे हैं, वे यह जान लें कदम और तुम अचेतन हो जाओगे, तो अधिकाधिक स्पष्ट हो जाए, कि तुम्हारा कि वे शुभ कार्य कर रहे हैं, परंतु वह तुमने एक रहस्य जान लिया। उस यंत्र का होश यंत्र-निर्मित मौन से अधिकाधिक अधूरा है। वह तभी पूरा होगा जब गहन बड़ा सुंदर उपयोग हो सकता है। विच्छिन्न हो जाए। और फिर तुम्हें यह मौन में उतरा हुआ वह व्यक्ति सजग भी और यही बात संसार के सब यंत्रों के प्रयोग यंत्र के बिना शुरू करना चाहिए। हो, जैसे होश का छोटा-सा दीया जलता विषय में सत्य है: सही हाथों में उन्हें एक बार तुमने यंत्र के बिना करना सीख चला जाए। सब कुछ विलीन हो जाता है, मनुष्यता के अपार कल्याण के लिए लिया, तो यंत्र तुम्हारे लिए परम सहयोगी सब ओर अंधकार, मौन और शांति उपयोग में लाया जा सकता है। गलत हुआ। 20 है लेकिन होश की एक अचल ज्योति हाथों में वे अवरोध बन जाते हैं। और जल रही है। दुर्भाग्य से, बहुत से गलत हाथ हैं...। तो यदि वह यंत्र सही हाथों में हो और लेकिन यह ध्यान नहीं है, यह तो मात्र लोगों को सिखाया जा सके कि वास्तविक उन तरंगों का परिवर्तन है जो तुम्हारे चारों चीज यंत्र से नहीं आएगी, तो यंत्र वह ओर वातावरण में सतत प्रवाहित हो रही तम्हारे द्वारा ही नहीं सबके द्वारा स्मरण अनिवार्य भूमि निर्मित कर सकते हैं जिस हैं। एक अनुभव की तरह यह निश्चित ही। रखने योग्य एक अत्यंत मूलभूत सूत्र पर वह ज्योति विकसित हो सकती है। , उपयोगी होगा; वरना बहुत से लोगों के यह है कि तुम्हारी अंतर्यात्रा में जो लेकिन ज्योति तुम पर निर्भर करती है, यंत्र लिए तो ध्यान केवल एक शब्द ही रहता कुछ भी मार्ग में आए, वह तुम नहीं हो। पर नहीं। है। वे सोचते हैं कि कभी ध्यान करेंगे। तुम तो वह हो जो इन सबका साक्षी तो, एक ओर तो मैं उन यंत्रों के पक्ष में और यह संदेह भी बना रहता है कि कोई है-चाहे वह शून्य हो, कि आनंद हो, कि हूं और दूसरी ओर मैं उनके बहुत विरोध में ध्यान करता भी है या नहीं? मौन हो। लेकिन एक बात स्मरण रखने की भी हूं, क्योंकि बहुत से लोग सोचेंगे, लेकिन पश्चिम का मन यांत्रिक है, है कि कैसे भी सुंदर और विस्मयकारी “यही ध्यान है," और वे भ्रम में पड़ उनका दृष्टिकोण यांत्रिक है; वे हर चीज अनुभव से तुम गुजरो, तुम वह नहीं हो। जाएंगे। ये यंत्र बहुत नुकसान पहुंचाएंगे, को यंत्र तक ले आना चाहते हैं और तुम तो वह हो जो उनका अनुभव कर पर शीघ्र ही वे पूरे विश्व में फैल जाएंगे। इसमें वे सक्षम भी हैं। लेकिन कुछ ऐसी रहा है, और यदि तुम बढ़ते चले जाओ, और वे बहुत सरल हैं उनमें बहुत कुछ चीजें हैं जो यंत्रों की क्षमता के पार हैं। होश बढ़ते ही चले जाओ तो यात्रा का परम नहीं है। बस एक विशेष प्रकार की तरंगें किसी भी यंत्र से पैदा नहीं किया जा बिंदु वह है जहां कोई अनुभव नहीं पैदा करने का प्रश्न है। संगीतज्ञ उन यंत्रों सकता: वह किसी भी आधुनिक तकनीक बचता-न तो मौन, न आनंद, न शून्य।
SR No.002367
Book TitleDhyanyog Pratham aur Antim Mukti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1990
Total Pages320
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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