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ध्यान का विज्ञान
दमन हैं उन्हें हवा में निकलने दो। और जब से, बल्कि जन्मों-जन्मों के बोझ से निर्भार नब मैं स्वयं ध्यान शिविर लेता था, तुम अपने क्रोध को हवा में निकाल सको हो सकते हो। यदि तुम सबकुछ निकाल तो हर रोज दोपहर को एक विधि तो तुम परिपक्व हुए।
फेंकने को तैयार हो जाओ, यदि तुम अपनी होती थी जिसमें सभी शिविरार्थी एक साथ __ यदि मैं अकेला प्रेमपूर्ण न हो सकू, यदि विक्षिप्तता को बाहर आने दे सको तो कुछ बैठ जाते थे, और हर किसी को छूट थी मैं उसी एक व्यक्ति के साथ प्रेमपूर्ण हो ही क्षणों में सब स्वच्छ हो जाए। अब तुम कि वह जो करना चाहे कर सकता सर्व जिसे प्रेम करता हूं, तो मैं अभी स्वच्छ हुए : ताजे, निर्दोष। तुम पुनः है-कोई प्रतिबंध नहीं था, बस किसी परिपक्व नहीं हुआ। तब प्रेमपूर्ण होने के शिशुवत हो गए। अब तुम्हारी इस और की प्रक्रिया में हस्तक्षेप भर नहीं करना लिए भी मैं किसी पर आश्रित हूं। कोई निर्दोषता में, बैठकर ध्यान हो सकता था। वह जो कहना चाहे, कह सकता है; व्यक्ति होना चाहिए, तभी मैं प्रेमपूर्ण हो है-बस बैठकर, या लेटकर या कैसे यदि रोना चाहे तो रो सकता है; हंसना सकता हूं! वह प्रेमपूर्ण होना तो बहुत भी-क्योंकि अब भीतर कोई विक्षिप्तता चाहे तो हंस सकता है और एक हजार उथली बात होगी। वह मेरा स्वभाव नहीं नहीं है जो बैठने में बाधा डाले।
लोग! कैसा मजेदार दृश्य होता था! ऐसे है। यदि कमरे में अकेला होने पर मैं सबसे पहले सफाई होनी लोग जिनकी तुम कल्पना भी नहीं कर प्रेमपूर्ण नहीं हूं तो प्रेम का वह गुण बहुत चाहिए-रेचन होना चाहिए। वरना, सकते थे-गंभीर लोग-ऐसी-ऐसी गहरा नहीं गया; वह मेरे प्राणों का अंग प्राणायाम से, बस बैठने से, आसन, मूर्खताएं करने लगते थे! कोई मुंह बना रहा नहीं बना।
योगासन साधने से तो तुम कुछ दबा रहे है, जीभ जितनी बाहर निकाल सकता है जितने तुम कम आश्रित होते जाते हो, हो। और एक बड़ी अद्भुत घटना घटती निकाल रहा है, और तुम जानते हो कि यह उतने ही तुम अधिक परिपक्व हो जाते हो। है: जब तुम सबकुछ बाहर निकल जाने व्यक्ति पुलिस कमिश्नर है! यदि तुम अकेले क्रोधित हो सको, तो तुम देते हो, तो बैठना ऐसे ही घट जाएगा, , एक व्यक्ति को तो मैं भूल ही नहीं अधिक परिपक्व हो गए। तुम्हें क्रोधित होने आसन ऐसे ही घट जाएंगे। यह सहज सकता, क्योंकि वह हर रोज मेरे सामने के लिए किसी विषय की जरूरत न रही। घटना होगी।
बैठता था। वह अहमदाबाद का एक बड़ा तो प्रारंभ में मैं रेचन को एक अनिवार्यता रेचन से आरंभ करो, और फिर तुम्हारे धनी व्यक्ति था, और क्योंकि उसका पूरा बना देता हूं। बिना किसी विषय का खयाल, भीतर कुछ शुभ उपज सकता है। उसका व्यवसाय ही शेयर बाजार का था, तो वह किए तुम्हें सब कुछ आकाश में खुले एक भिन्न गुणधर्म होगा, एक भिन्न सौंदर्य हमेशा फोन करने में ही लगा रहता। जब अंतरिक्ष में फेंक देना चाहिए।
होगा-बिलकुल भिन्न। वह प्रामाणिक भी यह एक घंटे का ध्यान शुरू होता, दो जिस व्यक्ति के साथ तुम क्रोध करना होगा।
या तीन मिनट में ही वह फोन उठा लेता। चाहते थे, उसके बिना क्रोधित होओ। जब मौन आता है, जब मौन तुम पर वह नंबर घुमाने लगताः “हलो!" उसके रोओ, बिना किसी कारण को खोजे। हंसो, उतरता है, तो वह झूठा नहीं होता। तुम चेहरे से ऐसा लगता जैसे उसे दूसरी ओर अकारण ही हंसो। फिर तुम सारा संचय उसका सप्रयास निर्माण नहीं करते रहे हो। से उत्तर मिल रहा हो, और वह तिरोहित कर सकते हो। तुम उसे बस फेंक वह तुम पर आता है; तुममें घटित होता है। कहता-"खरीद लो।" सकते हो। और एक बार तुम्हें ढंग आ तुम उसे अपने भीतर ऐसे ही विकसित एक घंटे तक यह चलता रहता, और जाए, तो तुम पूरे अतीत से निर्भार हो जाते होता अनुभव करने लगते हो जैसे एक मां वह बार-बार कभी इधर फोन करता, कभी हो।
बच्चे को भीतर विकसित होता अनुभव उधर फोन करता, और कभी-कभार मेरी कुछ ही मिनटों में तुम जन्म भर के बोझ करती है। 13
ओर देख कर मुस्करा देताः “मैं भी क्या
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