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ध्यान का विज्ञान
तुममें एक क्रांति ले आने के लिए है। एक विधि ले लो उसके साथ कम से किनारे आने में मदद दी है। इसे हम कैसे
पहले विधि को बिलकुल सम्यक ढंग से कम तीन दिन खेलो। यदि वह तुम्हें छोड़ सकते हैं? इसीके कारण तो हम यहां समझने का प्रयास करो। जब तुम उसे तारतम्यता का कोई भाव देती है, पहुंच पाए हैं। इसके बिना तो हम दूसरे समझ लो, तभी करो। और उस वृद्ध मंगलदायी होने का कोई भाव देती है, यदि किनारे पर ही मर गए होते। रात होने को डॉक्टर के आदर्श को मत अपनाना कि तुम्हें ऐसा लगे कि यह तुम्हारे लिए ही है, थी, और उस किनारे पर जंगली पशु थे; जब तुम्हें यह न पता हो कि क्या करना है तो उसके प्रति गंभीर होना। फिर बाकी यह बिलकुल निश्चित ही था कि सुबह तो कुछ भी करो। नहीं, कुछ भी मत करो। विधियों को भूल जाओ। दूसरी विधियों से तक हम मर गए होते। इस नाव को हम न-करना अधिक लाभदायी होगा। मत खेलो; कम से कम तीन महीने के लिए कभी न छोड़ेंगे। हम सदा-सदा के लिए उसीको जारी रखो।
ऋणी हैं। हम तो अहोभाव के रूप में इसे
चमत्कार घट सकते हैं। एक ही बात है अपने सिर पर ही ढोएंगे।" सम्यक विधि का बोध कि विधि तुम्हारे लिए ही हो। विधि तुम्हारे विधियां तभी खतरनाक होती हैं जब तुम
लिए न हो तो कुछ भी नहीं होता। फिर अर्धमूछित होते हो; वरना उन्हें बड़े सुंदर
जन्मों-जन्मों तुम उसे साधते रहो, कुछ भी ढंग से उपयोग में लाया जा सकता है। स्तव में, जब तुम सम्यक विधि में न होगा। विधि तुम्हारे लिए हो तो तीन क्या तुम सोचते हो कि नाव खतरनाक उतरोगे, तो उसका तत्क्षण पता मिनट भी पर्याप्त हैं। 6
होती है? वह तभी खतरनाक हो सकती है लग जाएगा। मैं तो प्रतिदिन यहां विधियों
जब तुम अहोभाव से भरकर उसे जीवन की चर्चा करता रहूंगा। तुम उन्हें करके
भर अपने सिर पर ढोने की सोचो। वरना देखते रहो। बस उनसे खेलो भर : घर
• तो वह बस उपयोग में लाकर और छोड़ जाओ और उन्हें करके देखो। जब भी
- देने योग्य, उपयोग में लाकर और त्याग सम्यक विधि में तुम्हारा उतरना होगा, पभी सदगुरु कहते हैं, कि एक दिन देने योग्य एक साधन है, उपयोग कर लेने उसका पता चल जाएगा। कुछ तुममें तुम्हें विधि छोड़नी होगी। और के बाद फिर मुड़कर उसकी ओर देखने की प्रस्फुटित होता है और तुम जान जाते हो , जितनी जल्दी तुम उसे छोड़ दो, उतना ही जरूरत भी नहीं है। उसमें कोई सार भी कि “यही मेरे लिए सम्यक विधि है।" अच्छा। जिस क्षण तुम पहुंच जाओ, जिस नहीं है। लेकिन प्रयास चाहिए, और किसी दिन क्षण तुममें होश जग जाए, तत्क्षण विधि तुम औषधी को छोड़ दो तो स्वतः ही शायद अचानक तुम चकित रह जाओ कि को छोड़ दो।
अपने स्वरूप में ठहरने लगोगे। मन विधि ने तुम्हें घेर लिया है।
बुद्ध एक कहानी बार-बार कहते थे। आनाकानी करता है; वह तुम्हें अपने __मैंने पाया है कि जब तुम खेलपूर्ण होते पांच मूढ़ एक गांव से गुजरे। उन्हें देख स्वरूप में ठहरने नहीं देता, वह तुम्हें ऐसी हो, तो तुम्हारा मन अधिक खुला होता है। सभी चकित थे, क्योंकि वे अपने सिर पर चीजों में आकर्षित रखता है जो तुम नहीं जब तुम गंभीर होते हो तो तुम्हारा मन इतना एक नाव ढो रहे थे। नाव वास्तव में बड़ी हो जैसे नाव। खुला नहीं होता; बंद होता है। तो बस थी; उसके बोझ के नीचे वे मरे जा रहे थे। जब तुम कुछ भी नहीं पकड़ते तो कहीं खेलो। बहुत गंभीर मत होओ, बस खेलो। लोगों ने पूछा, “तुम कर क्या रहे हो"? जाने को नहीं रहता; सभी नावें छूट गईं, और ये विधियां सरल हैं। तुम इनके साथ वे बोले, "इस नाव को हम नहीं छोड़ तुम कहीं नहीं जा सकते; सभी मार्ग छूट खेल सकते हो।
सकते। इसी नाव ने हमें उस किनारे से इस गए और तुम कहीं जा नहीं सकते; सभी
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