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ओशो से प्रश्नोत्तर
गए
जाएगा; सुवास विलीन हो जाएगी। अब की अपेक्षा स्वयं को दंड दे लेना बेहतर इजाजत नहीं दे सकते। कांटा ही उसकी वास्तविकता, उसका घाव है-क्योंकि वह दंड तो यह होगा कि तुम एक महान सूफी शायर उमर खय्याम ने बन जाएगा-"तुममें कांटे क्यों हैं?" अनंत काल के लिए नरक के गहन अपने विश्व प्रसिद्ध काव्य-संग्रह,
लेकिन क्योंकि गुलाब की कोई झाड़ी अंधकार में फेंक दिए जाओगे। और वहां रुबाइयात, में लिखा है : “मैं तो पिऊंगा, इतनी मूढ़ नहीं है कि किसी धर्म के पुरोहित कोई बचाव, कोई निकास-द्वार नहीं नाचूंगा, प्रेम करूंगा। मैं हर पाप करूंगा को सुने, इसलिए गुलाब नाचते चले जाते है-एक बार तुम नरक में प्रवेश किए, तो क्योंकि परमात्मा की करुणा में मेरी श्रद्धा हैं, और गुलाब के साथ-साथ कांटे भी बस हमेशा के लिए प्रवेश कर गए। है-वह क्षमा कर देगा। मेरे पाप बहुत नाचते हैं।
पूरी मनुष्यता को किसी न किसी मात्रा छोटे हैं; उसकी करुणा अपार है।" पूरा अस्तित्व अपराध-भाव से मुक्त में अपराध-भाव से भर दिया गया है। जब पंडितों को उसकी पुस्तक के बारे में है। और जिस क्षण कोई व्यक्ति इसने तुम्हारी आंखों से चमक छीन ली पता चला-क्योंकि उन दिनों पुस्तकें हाथ अपराध-भाव से मुक्त होता है, वह जीवन है; इसने तुम्हारे चेहरे से सौंदर्य छीन लिया से लिखी जाती थीं, कोई छापाखाना नहीं के जागतिक प्रवाह का हिस्सा हो जाता है। है; तुम्हारे अंतस से प्रसाद छीन लिया होता था...पंडितों को पता चला कि वह यही संबोधि है-एक अपराध-भाव से है। इसने तुम्हें अपराधी बना दिया ऐसी अधार्मिक चीजें लिख रहा है, कि वह मुक्त चेतना जो हर उस चीज का आनंद है-व्यर्थ ही।
कह रहा है, "चिंता मत करो, जो चाहते हो मनाती चली जाती है जो अस्तित्व उपलब्ध स्मरण रखोः मनुष्य क्षीण और कमजोर करते रहो क्योंकि परमात्मा शुद्ध करुणा करवाता है: प्रकाश सुंदर है। ऐसे ही है, और गलती करना मानवीय है। और और प्रेम के अतिरिक्त और कुछ नहीं है। अंधकार भी सुंदर है।
जिन लोगों ने यह कहावत गढ़ी है कि सत्तर वर्ष के जीवन में तुम कितना पाप कर जब तुम अपराध-भाव अनुभव करने "गलती करना मानवीय है" उन्हीं लोगों सकते हो?-उसकी करुणा की तुलना में के लिए कुछ भी न खोज पाओ, तो मेरे ने यह कहावत भी गढ़ी है कि “क्षमा करना यह कुछ भी नहीं है।" अनुसार तुम धार्मिक व्यक्ति हुए। दिव्य है।" दूसरे हिस्से से मैं सहमत नहीं वह प्रसिद्ध गणितज्ञ भी था, अपने देश तथाकथित धर्मों के अनुसार जब तक तुम हूं।
में विख्यात था। पंडित-पुरोहित उसके पास अपराध-भाव अनुभव नहीं करते, तुम मैं कहता हूं, “गलती करना मानवीय है पहुंचे और बोले, “तुम कैसी बातें लिख धार्मिक नहीं हो; जितनी तुम्हें ग्लानि हो, और क्षमा करना भी मानवीय है।" और रहे हो? तुम तो लोगों की धार्मिकता को उतने ही तुम धार्मिक हो।
स्वयं को क्षमा करना महानतम पुण्यों में से नष्ट कर दोगे! लोगों में भय पैदा करो, दंड के रूप में, प्रायश्चित के रूप में है, क्योंकि यदि तुम स्वयं को ही क्षमा नहीं लोगों को बताओ कि परमात्मा बड़ा लोग स्वयं को प्रताड़ित कर रहे हैं। लोग कर सकते तो संसार में किसी को भी क्षमा न्यायोचित है: यदि तुमने कोई पाप किया मुक्के मार-मार कर अपनी छाती पर तब नहीं कर सकते–यह असंभव है। तुम है, तो तुम्हें सजा मिलेगी। कोई करुणा नहीं तक चोट करते हैं जब तक छाती से खून न घावों से, अपराध-भाव से इतने भरे हुए की जाएगी।" निकलने लगे। ये लोग, मेरे देखे, हो, किसी को कैसे क्षमा कर सकते हो? उमर खय्याम की पुस्तक उसके मानसिक रूप से रुग्ण हैं; ये धार्मिक नहीं तुम्हारे तथाकथित संत कहे चले जाते हैं कि जीवनकाल में ही जला दी गई। जब भी हैं। उनके तथाकथित धर्मों ने उन्हें सिखाया तुम नरक में फेंक दिए जाओगे। कोई प्रति मिल जाती, पंडित-पुरोहित है कि यदि तुम कोई गलती करो तो वास्तविकता यह है कि वे नरक में जी रहे उसको जला देते, क्योंकि यह व्यक्ति ऐसे कयामत के दिन परमात्मा से दंडित होने हैं! वे परमात्मा को भी तुम्हें क्षमा करने की खतरनाक विचार सिखा रहा था।
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