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ध्यान के विषय में
मरणधर्मा और क्षणभंगुरता का तिनका अनूठा है, अद्वितीय है, उसकी ठीक दिशा में हो।। अतिक्रमण।
अपनी निजता है। यह 'तुम्हारा' मौन नहीं है। तुम ही और यह संवेदनशीलता तुम्हारे लिए म्हें ऐसा प्रेम चाहिए जो ध्यान से मौन हो।
नयी मित्रताएं पैदा कर देगी-मैत्री-भाव। | जनमा हो–मस्तिष्क से नहीं। इसी यह कुछ ऐसा नहीं है जिस पर तुम्हारी वृक्षों के साथ, पक्षियों के साथ, पशुओं के प्रेम की मैं निरंतर चर्चा करता मालकियत हो सके; वरन वही तुम्हें साथ-पहाड़ों, नदियों और सागरों के रहता हूं। आविष्ट किए हुए है और यही उसकी साथ। और जैसे-जैसे प्रेम फैलता है, मैत्री करोड़ों दंपति दुनिया में ऐसे जी रहे हैं महिमा है। वहां तुम भी नहीं होते, क्योंकि बढ़ती है, जीवन ज्यादा समृद्ध होता जाता जैसे कि उनके बीच प्रेम मौजूद हो। वे तुम्हारी मौजूदगी भी वहां बाधा बन है। 10
'जैसे कि' के जगत में जी रहे हैं। निःसंदेह जाएगी। मौन इतना गहन होता है कि वहां
कैसे आनदित हो सकते हैं वे? उनकी सारी कोई भी मौजूद नहीं होता-तुम भी नहीं।
ऊर्जा का ह्रास हो जाता है। वे एक झूठे प्रेम और यह मौन तुम्हारे लिए सत्य, प्रेम और
से कुछ पाने का प्रयास कर रहे हैं; इससे हजारों आशीष ले आता है।
बात नहीं बनती। इसीलिए इतनी निराशा, यदि तुम ध्यान करते हो तो देर-अबेर
इतनी ऊब, सतत खींचातानी और तुममें प्रेम का आविर्भाव होने ही
कलह-क्लेश प्रेमियों के बीच होता रहता का विकास वाला है। यदि तुम गहराई से ध्यान करते
है। वे दोनों कुछ ऐसा करने का प्रयास कर हो, तो देर-अबेर तुम अनुभव करने लगोगे
रहे हैं जो असंभव है। वे अपने प्रेम की OTTन तममें सवेदनशीलता कि एक प्रगाढ़ प्रेम तुम्हार भातर उठ रहा: घटना को शाश्वत बनाना चाह रहे हैं जो 1 लाएगा-इस जगत से जुड़े है, जो तुमने पहले कभी नहीं जाना
हो नहीं सकता। यह प्रेम मन से पैदा हुआ होने का एक गहन भाव लाएगा। यह है—होने की एक नई गुणवत्ता, एक नये
है और मन तुम्हें शाश्वत की कोई झलक जगत हमारा है-ये सितारे हमारे हैं और द्वार का खुलना। तुम एक नई लौ बन जाते ही सकता हम यहां अजनबी नहीं हैं। आंतरिक रूप हो और अब तुम बांटना चाहते हो।
पहले ध्यान में उतरो, क्योंकि ध्यान से से हम इस जगत से जड़े हए हैं। हम इसके यदि तम गहनता से प्रेम करते हो तो
प्रेम जन्मेगा-वह ध्यान की सुवास है। हिस्से हैं, हम इसका हृदय हैं। धीरे-धीरे तुम्हें पता चलने लगता है कि
ध्यान फूल है-सहस्र पंखुड़ियों वाला तम इतने संवेदनशील हो जाते हो कि तुम्हारा प्रेम ज्यादा ध्यानस्थ होता जा
कमल। उसे खिलने दो। उसे सहायता घास का एक छोटा-सा तिनका भी तम्हारे रहा है। मौन का एक सूक्ष्म गुण तुममें
करने दो तुम्हें ऊर्ध्वगमन के आयाम में, लिए बहुत महत्व रखने लगता है। तुम्हारी प्रवेश कर रहा है। विचार विलीन हो।
अमन में, समयशून्यता में उठने में और संवेदनशीलता तुम्हें स्पष्ट कर देती है कि रहे हैं, अंतराल प्रकट हो रहे हैं।
अचानक तुम पाओगे कि सुवास का जन्म यह छोटा-सा घास का तिनका भी मान-मन-मनि! तुम स्वय की गहराई हआ। तब प्रेम शाश्वत होता है. बेशर्त अस्तित्व के लिए उतना ही महत्वपूर्ण है, को छू रहे हो।
होता है। तब वह किसी व्यक्ति विशेष के जितना कि सबसे बड़ा सितारा। इस घास प्रेम तुम्हें ध्यानस्थ बना देता है यदि वह प्रति इंगित नहीं रह जाता है। वह कोई के तिनके के बिना अस्तित्व कुछ कम ठीक दिशा में हो।
संबंध नहीं है, वरन वह एक गुण ज्यादा सम्पन्न हो जाएगा। घास का यह छोटा-सा ध्यान तुम्हें प्रेमपूर्ण बना देता है यदि वह है, जो तुम्हें चारों ओर से घेरे रहता है।