________________
तृतीय नेत्र से देखना
ग्रहण करने के लिए खुल जाएगा-"और बनती है, तुम पूरी तरह बह जाओगे, दूर ऐसा ही लगेगा कि तुम ब्रह्मांड बन गए वहां ब्रह्मांड व्याप जाता है।" और बह जाओगे। तुम्हें लगेगा ही नहीं कि तुम हो। ब्रह्मांड भीतर आता है और ब्रह्मांड जैसे-जैसे यह बहती ऊर्जा पहले एक हो। तुम्हें लगेगा कि बस ब्रह्मांड ही है। बाहर जाता है। वह इकाई जो तुम सदा बने धारा, फिर एक सरिता और फिर एक बाढ़ श्वास लेते हुए, श्वास छोड़ते हुए, तुम्हें रहे-अहंकार-वह नहीं बचेगा। 5
197