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ध्यान की विधियां
प्राण को, जीवन-शक्ति को भीतर ले रहे हो। वायु केवल माध्यम है; प्राण उसकी अंतर्वस्तु है। तुम केवल वायु ही नहीं, प्राण भीतर ले रहे हो।
तृतीय नेत्र में केंद्रित होने से अचानक श्वास के सारतत्व को, प्राण को देख सको तुम श्वास के सारतत्व को देख सकते तो तुम उस बिंदु पर पहुंच गए जहां हो-श्वास को नहीं बल्कि श्वास के से छलांग लगती है, अंतस क्रांति घटित सारतत्व को, प्राण को। और यदि तुम होती है। 4