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________________ ध्यान की विधियां लोपा ने कहा: बांस की । पोली पोंगरी की भांति अपने शरीर के साथ सहज हो रहो। यह तिलोपा की विशेष विधियों में से है। हर सदगुरु की अपनी कोई विशेष विधि होती है जिसके द्वारा वह उपलब्ध हुआ, और जिसके द्वारा वह दूसरों की मदद करना चाहेगा। यह तिलोपा की विशेष विधि है: “बांस की पोली पोंगरी की भांति अपने शरीर के साथ सहज हो रहो।" बांस की पोली पोंगरी बांस की पोंगरी, भीतर से बिलकुल रही है और शांत है, विचारों से कंपित इसे करके देखो; वह बांस की पोली खाली। जब तुम विश्राम करो, तो इतना ही नहीं हो रही, मन शिथिल होकर देख पोंगरी बन जाने की यह विधि, अनुभव करो कि तुम बांस की एक पोंगरी रहा है, किसी विशेष चीज की प्रतीक्षा सुंदरतम विधियों में से है। तुम्हें कुछ की तरह हो गए हो-भीतर से बिलकुल नहीं कर रहा, तो बांस की एक पोली और करने की जरूरत नहीं। तुम यही पोले और खाली। और वास्तव में ऐसा ही पोंगरी की तरह अनुभव करो-और हो जाओ और बाकी सब हो जाता है : तुम्हारा शरीर बांस की पोंगरी जैसा ही अचानक अनंत ऊर्जा तुममें उंडलने लगती है। अचानक तुम्हें लगता है कि तुम्हारे है, और भीतर से खाली है। तुम्हारी त्वचा, है, तुम अज्ञात से, रहस्यमय से, दिव्य खालीपन में कुछ उतर रहा है। तुम तुम्हारी हड्डियां, तुम्हारा रक्त, सबकुछ से भर जाते हो। बांस की पोली पोंगरी एक गर्भ की भांति हो और एक नया जीवन बांस का ही हिस्सा है, और भीतर आकाश एक बांसुरी बन जाती है और परमात्मा तुममें प्रवेश कर रहा है, एक बीज गिर है, खालीपन है। उसे बजाने लगता है। एक बार तुम खाली रहा है। और एक क्षण आता है जब - जब तुम बिलकुल मौन होकर, हो जाओ तो परमात्मा को तुममें प्रवेश बांस भी पूरी तरह विलीन हो जाता है। 6 निष्क्रिय बैठे हो, जिह्वा तालु को छ करने में कोई बाधा नहीं बचती। 178
SR No.002367
Book TitleDhyanyog Pratham aur Antim Mukti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1990
Total Pages320
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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