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अंतस आकाश को खोज लेना
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तंजलि ने कहाः समाधि की 7 निर्विचार अवस्था की परम शुद्धता उपलब्ध होने पर प्रकट होता है आध्यात्मिक प्रकाश।
तुम्हारी अंतरतम सत्ता प्रकाश के स्वभाव की है। चेतना प्रकाश है। चेतना ही है एकमात्र प्रकाश। तुम जी रहे हो बहुत अचेतन रूप से; कई चीजें कर रहे हो, न जानते हुए कि क्यों कर रहे हो; आकांक्षा
विषयों की अनुपस्थिति को अनुभव करो
कर रहे हो चीजों की, न जानते हए कि करो। चीजों की ओर ज्यादा सजगता से वृक्ष कुछ अलग ही हो जाता है। वह क्यों; मांग कर रहे हों चीजों की, न जानते देखो। तुम गुजरते हो एक वृक्ष के निकट ज्यादा हरा होता है, वह ज्यादा जीवंत होता हुए कि क्यों! एक अचेतन निद्रा में बहे से; वृक्ष को ज्यादा सजगता से देखो। रुक है, वह ज्यादा सुन्दर होता है। वृक्ष वही है, चले जा रहे हो। तुम सब नींद में चलने जाओ कुछ देर को, देखो वृक्ष की ओर। केवल तुम बदल गए। वाले हो। निद्राचारिता एकमात्र आंखें मल लो अपनी; ज्यादा सजगता से एक फूल की ओर देखो, ऐसे जैसे कि आध्यात्मिक रोग है-निद्रा में चल रहे हो देखो वृक्ष की ओर। तुम्हारी जागरूकता तुम्हारा सारा अस्तित्व इस देखने पर निर्भर और जी रहे हो!
को इकट्ठा करो, देखो वृक्ष की तरफ। और करता हो। तुम्हारी सारी जागरूकता को ज्यादा बोधपूर्ण हो जाओ। विषयों के भेद पर ध्यान देना।
उस फूल तक ले आओ और अचानक साथ ज्यादा बोधपूर्ण, चैतन्यपूर्ण होना शुरू अकस्मात जब तुम सचेत हो जाते हो, फूल महिमावान हो जाता है-वह ज्यादा
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