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ध्यान की विधियां
जब तुम बहुत ऊंचाई पर उड़ रहे हो
तो ध्यान करने के लिए उससे बेहतर परिस्थिति तुम नहीं खोज सकते। ऊंचाई जितनी अधिक हो, ध्यान करना उतना ही सरल है। इसीलिए सदियों से साधक ऊंचाई खोजने के लिए हिमालय जाते रहे हैं।
जेट-सेट के लिए एक ध्यान
जब गुरुत्वाकर्षण कम होता है और पृथ्वी बहुत दूर तो पृथ्वी के बहुत सारे आकर्षण भी दूर रह जाते हैं। तुम भ्रष्ट समाज से बहुत दूर हो जाते हो जिसे मनुष्य ने निर्मित किया है। तुम बादलों से, सितारों से, चांद से, सूरज से, और विशाल आकाश से घिरे होते हो। तो एक काम करोः इस विशालता के साथ एक होने का
अनुभव करना शुरू करो, और ऐसा तीन चरणों में करो।
पहला चरण है। कुछ मिनट के लिए यही सोचो कि तुम बड़े हो रहे हो...तुम पूरे वायुयान में भरे जा रहे हो। फिर दूसरा चरण है : भाव करना शुरू करो कि तुम और भी बड़े हो रहे हो, वायुयान से भी बड़े हो रहे हो, वास्तव में वायुयान अब
तुम्हारे भीतर ही है। और तीसरा चरण: भाव करो कि तुम समस्त आकाश में फैल गए हो। अब ये जो बादल चल रहे हैं, और ये चांद-तारे-ये सब तुम्हारे भीतर चल रहे हैं; तुम विशाल हो, असीम हो।
यह भाव ही तुम्हारा ध्यान बन जाएगा, और तुम बिलकुल विश्रांत और तनावरहित अनुभव करोगे। 4
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