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________________ ध्यान की विधियां र रात को सोने के पहले तुम एक 2 छोटा-सा प्रयोग कर सकते हो जो बहुत ही सहायक होगा। प्रकाश बुझा लो, सोने के लिए तैयार हो कर अपने बिस्तर पर बैठ जाओ-पंद्रह मिनट के लिए। आंखें बंद कर लो और फिर कोई निरर्थक एकसुरी आवाज निकालना शुरू करो। उदाहरण के लिए ल ल ल ल-और प्रतीक्षा करो कि मन तुम्हें नई ध्वनियां देता देववाणी जाए। एक ही बात याद रखनी है कि वे तब इटालियन भाषा अच्छी होगी। वह दिया जा सके। जब मन का अचेतन आवाजें या शब्द उस किसी भाषा के न हों कोई भाषा बोलो जिससे तुम अपरिचित हिस्सा बोलता है, तो वह तो कोई भाषा जो तुम जानते हो। यदि तुम अंग्रेजी, जर्मन हो। नहीं जानता।... और इटालियन भाषा जानते हो तो पहले दिन कुछ क्षणों के लिए तुम यह एक बहुत ही प्राचीन विधि है। यह उच्चारित शब्द इन भाषाओं के न हों। कोई अड़चन में पड़ोगे, क्योंकि वह भाषा तम ओल्ड टेस्टामेंट में, पुरानी बाइबिल में भी भाषा जो तुम नहीं जानते हो-जैसे कैसे बोल सकते हो जो तुम जानते ही उल्लिखित है। उन दिनों इस विधि को मान लो तिब्बती, चीनी, जापानी-उनकी नहीं? एक बार प्रारंभ भर हो जाए, फिर 'ग्लोसोलालिया' कहा जाता था और ध्वनियां तुम उच्चारित कर सकते हो। वह बोली जा सकती है। कोई भी आवाज, अमेरिका के कुछ चर्च अभी भी इसका लेकिन यदि तुम जापानी भाषा जानते हो, अर्थहीन शब्द-ताकि सतही चेतन मन उपयोग करते हैं। वे इसे 'जीभ की बोली' तो उसका उपयोग तुम नहीं कर सकते; को शिथिल करके, अचेतन मन को बोलने कहते हैं। और यह एक अद्भुत विधि 158
SR No.002367
Book TitleDhyanyog Pratham aur Antim Mukti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1990
Total Pages320
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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