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ध्वनिरहित नाद का श्रवण
निर्ध्वनि में या पूर्णध्वनि में प्रवेश करती है, उसके चरम शिखर पर होना चाहिए। जब पर, अपने एव्हरेस्ट पर पहुंच चुका होता
और तुम पूर्ण होश में प्रवेश कर जाते हो। ध्वनि अपनी घाटी में उतर जाती है, घाटी है। और वहां ध्वनि निर्ध्वनि में या जब तक ध्वनि निर्ध्वनि या पूर्णध्वनि में के निम्नतम, गहनतम केंद्र में उतर जाती पूर्णध्वनि में विलीन होती है और तुम पहुंचे, उस समय तक तुम्हारे होश को है, तब तुम्हारा होश अपने उच्चतम शिखर परिपूर्ण होश में विलीन हो जाते हो। 4
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