________________
अंधकार पर ध्यान
'व ने कहाः जब वर्षा ऋतु
| की चंद्रविहीन रात न उपलब्ध हो तो आंखें बंद करो और अपने समक्ष अंधकार को खोज लो, फिर आंखें खोलते हुए अंधकार को देखो। इस प्रकार दोष सदा के लिए विलीन हो जाते हैं।
आंतरिक अंधकार को बाहर लाओ
यह कुछ ज्यादा कठिन है। पिछली दिन अचानक तुम आंतरिक अंधकार बाहर ला सकते हो, और अंधकार का एक विधि में तुम वास्तविक अंधकार भीतर को बाहर ला पाओगे। जिस दिन तुम टुकड़ा तुम्हारे समक्ष फैल जाएगा। यह लिए चलते हो। इस विधि में तुम झूठे आंतरिक अंधकार को बाहर ला पाओ, बहुत ही अटपटा अनुभव है, क्योंकि अंधकार को बाहर लाते हो-लाते चले तुमने भीतर के वास्तविक अंधकार को कमरा प्रकाशित है। यदि तुम आंतरिक जाते हो। अपनी आंखें बंद करो, अंधेरे पा लिया। वास्तविक को ही लेकर चला अंधकार तक पहुंच गए हो तो सूर्य के को महसूस करो; आंखें खोलो, और जा सकता है; झूठे को लेकर नहीं चला जा प्रकाश में भी उसे बाहर ला सकते हो। खुली आंखों से अंधकार को बाहर देखो। सकता।
फिर अंधकार का एक टुकड़ा तुम्हारी इसी प्रकार तुम झूठे अंधकार को बाहर और यह बड़ा जादुई अनुभव है। यदि आंखों के सामने छा जाता है। तुम उसे फेंकते हो-उसे फेंकते रहो। इसमें तीन तुम आंतरिक अंधकार को बाहर ला सको, फैलाते चले जा सकते हो। से छह सप्ताह तक लगेंगे, और तब एक तो एक प्रकाशित कमरे में भी तुम उसे एक बार तुम जान जाओ कि यह हो
139