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________________ प्रकाश पर ध्यान व ने कहाः अनुभव करो ा कि ब्रह्मांड एक आलोकमयी शाश्वत उपस्थिति है। यह विधि आंतरिक संवेदनशीलता पर आधारित है। पहले संवेदनशीलता को बढ़ाओ। अपने द्वार-दरवाजे बंद कर लो, कमरे को अंधेरा कर लो, और एक छोटी मोमबत्ती जला लो। मोमबत्ती के निकट एक अत्यंत प्रेमपूर्ण भावदशा में, आलोकमयी उपस्थिति प्रार्थनापूर्ण भावदशा में बैठ जाओ। मोमबत्ती में बहुत-सी चीजें बदल रही हैं। क्योंकि प्रकाश सब रंग है। तुम्हें एक सूक्ष्म मोमबत्ती से प्रार्थना करो, “स्वयं को मुझ वे मोमबत्ती में नहीं बदल रही हैं-स्मरण संवेदनशीलता की जरूरत है। बस उसे पर प्रगट करो।" स्नान कर लो, अपनी रखना। तुम्हारी आंखें बदल रही हैं। अनुभव करो और उसकी ओर देखते रहो। आंखों पर ठंडा पानी छिड़क लो, और फिर एक प्रेमपूर्ण भावदशा में, पूरे संसार को आंसू बहने लगें तो भी, उसकी ओर देखते एक अत्यंत प्रार्थनापूर्ण भावदशा में बाहर बंद करके, पूरी एकाग्रचित्तता से, ही रहो। वे आंसू तुम्हारी आंखों को और मोमबत्ती के सामने बैठ जाओ। उसकी भावपूर्ण हृदय लिए, बस मोमबत्ती और ताजा करने में सहायक होंगे। ओर देखो और बाकी सब कुछ भूल ज्योति की ओर देखते रहो। तब तुम्हें ज्योति कई बार तुम्हें लग सकता है कि ज्योति, जाओ। बस उस छोटी-सी मोमबत्ती की के चारों ओर नए रंग, नई छटाएं दिखाई मोमबत्ती रहस्यमय-सी हो गई है। यह वह ओर देखो-ज्योति और मोमबत्ती की देंगी, जिनके होने का पहले तुम्हें पता ही साधारण मोमबत्ती नहीं है जो तुम अपने ओर। उसकी ओर देखते चले जाओ। नहीं था। वे मौजूद थे: पूरा इंद्रधनुष मौजूद साथ लाए थे। उसने एक नई आभा ले ली पांच मिनट के बाद तम्हें लगेगा कि था। जहां भी प्रकाश है, वहां इंद्रधनुष है है। उसमें एक सूक्ष्म दिव्यता उतर आई है। 131
SR No.002367
Book TitleDhyanyog Pratham aur Antim Mukti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorOsho Rajnish
PublisherRebel Publishing House Puna
Publication Year1990
Total Pages320
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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