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ध्यान की विधियां
आकार को देखो। पदार्थ को मत देखो। सुंदर अनुभव हो जाता है। और तब यह सकते। वस्तु के भौतिक तत्व को छोड़ कटोरा सोने का बना हो सकता है, वह मत सोचो कि शरीर सुंदर है या नहीं, गोरा दिया गया है; उसके शुद्ध रूप को, चांदी का बना हो सकता है। इसका है या काला है, पुरुष है या स्त्री है। आकार को देखा जा रहा है। अब तुम खयाल लो। उस धातु को सोचो मत, बस आकार को देखो। सोना, लकड़ी, चांदी आदि के बारे में नहीं मत देखो जिससे कि यह कटोरा निर्मित पदार्थ को भूल जाओ और केवल आकार सोच सकते। हुआ है; केवल आकार को देखो। को देखो। “और कुछ ही क्षणों में जाग्रत समग्रता के साथ और आकार के साथ __ पहली बात है, उसे एक समग्रता की हो जाओ।"
जुड़े रहो। और अचानक तुम स्वयं के बोध तरह देखना। दूसरी बात है : उसे एक रूप लगातार एक वस्तु के आकार को एक से भर जाओगे, क्योंकि अब आंखें गति की तरह देखो-एक पदार्थ की तरह नहीं। समग्रता की भांति देखते रहो। आंखों को नहीं कर सकतीं। और उन्हें गति की क्यों? क्योंकि उसका ठोस हिस्सा तो कोई हलन-चलन मत करने दो। उस वस्तु जरूरत है; गति उनका स्वभाव है। पदार्थ का अंग है और रूप आध्यात्मिक के “पदार्थ" के बारे में सोचना शुरू मत इसलिए तुम्हारी दृष्टि तुम पर चली हिस्सा है। तुम्हें भौतिक से अभौतिक की कर देना।
आएगी। वह वापस हो जाएगी, वह घर ओर गति करना है। यह सहायक होगा। इससे क्या घटित होगा? अचानक तुम चली आएगी और अचानक तुम स्वयं के
इसका प्रयोग करो। इसका प्रयोग तुम स्व-सत्ता के बोध से भर जाओगे। किसी बोध से भर जाओगे। यह स्व-सत्ता के किसी व्यक्ति के साथ भी कर सकते हो। वस्तु को देखते हुए तुम्हें स्वयं का बोध आ बोध से भर जाना एक सर्वाधिक संभव कोई पुरुष या कोई स्त्री खड़ी है: देखो, जाएगा। क्यों? क्योंकि आंखों के लिए आह्लादकारी क्षण है। जब पहली बार तुम्हें
और उस पुरुष या स्त्री को अपनी दृष्टि में __ कोई संभावना नहीं है कि वे बाहर गति कर स्व-सत्ता का बोध होता है, तो उसका ऐसा पूरा का पूरा लो। शुरू-शुरू में यह बड़ा सकें। वस्तु के आकार को एक समग्रता सौंदर्य है और उसका ऐसा आनंद है कि अटपटा लगेगा, क्योंकि तुम्हें इसकी कोई की तरह देखा जा रहा है, इसलिए तुम उस तुम उसकी तुलना किसी भी पूर्व-परिचित आदत नहीं है, लेकिन अंत में यह बहुत वस्तु के छोटे हिस्से पर गति नहीं कर अनुभव से नहीं कर सकते। 3
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