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पूछता हूं, 'अब्दुल्लाह' — यह उसका नाम था – 'तुम क्या चाहते हो ? दुख ? आनंद ? आज तुम क्या चुनने वाले हो ?” और ऐसा होता है कि मैं हमेशा ही आनंद को चुनता हूं।"
ध्यान की विधियां
समाप्त
यह एक चुनाव है। इसे करके देखो । सुबह सबसे पहले जब तुम्हें लगे कि नींद , अपने से पूछो, “अब्दुल्लाह, एक और दिन मिल रहा है! क्या विचार है तुम्हारा? दुख चुनते हो या आनंद ?”
और दुख को कौन चुनता है ? और भला क्यों? और दुख इतना अस्वाभाविक है— जब तक तुम दुख में ही आनंद न लेने लगो, लेकिन तब भी तुम आनंद ही चुन रहे हो, दुख नहीं। 2
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