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ध्यान की विधियां
दुख को अनुभव करो, पीड़ा को हो। और अनेकानेक मादक द्रव्यों से यही दुख रहा है, कि उसमें ऊपर से नीचे तक अनुभव करो, उससे बचो मत। होता रहता है। आधुनिक मनुष्य इतने पीड़ा है, कि तुम्हारा पूरा शरीर ही पीड़ा के
इसीलिए तो कई ध्यान-चिकित्साओं मादक द्रव्य ले रहा है जितने कभी नहीं अतिरिक्त और कुछ नहीं है। (थैरेपीज) में रोगी को कहा जाता है कि लिए गए, क्योंकि आधुनिक मनुष्य बड़ी यदि तुम उसका अनुभव कर चिकित्सा शुरू होने से पहले वह कोई पीड़ा में जी रहा है। मादक द्रव्यों के बिना सको-इसका बड़ा महत्व है-तब उसे मादक द्रव्य न ले क्योंकि मादक द्रव्य इतनी पीड़ा में जी पाना असंभव ही हो अवशोषित करना शुरू करो। उसे बाहर आंतरिक दुख से भागने के उपाय हैं। वे जाएगा। वे मादक द्रव्य एक अवरोध खड़ा मत फेंको। वह इतनी मूल्यवान ऊर्जा है, तुम्हें तुम्हारे घावों को नहीं देखने देते, उन्हें कर देते हैं, वे तुम्हें नशे में रखते हैं, वे कि उसे फेंको मत। उसे पचाओ, उसे दबा देते हैं। वे तुम्हें तुम्हारी पीड़ा में नहीं तुम्हें इतना संवेदनशील नहीं रहने देते कि पीओ, उसे स्वीकार करो, उसका स्वागत जाने देते और जब तक तुम अपनी पीड़ा में तुम अपनी पीड़ा को जान पाओ। करो, उसके प्रति अनुगृहीत होओ। और न जाओ, तुम उनके कारागृह से मुक्त नहीं पहला काम तो यह करो कि अपने द्वार स्वयं को ही कहो, इस बार मैं इसे टालूंगा हो सकते।
बंद कर लो और किसी भी प्रकार की नहीं, इस बार मैं इसे अस्वीकृत नहीं यह बिलकुल वैज्ञानिक है कि समूह व्यस्तता को हटा दोः चाहे टेलीविजन करूंगा, इस बार मैं इसे दूर नहीं फेंकूगा। चिकित्सा से पहले सभी मादक द्रव्य छोड़ देखना हो, कि रेडियो सुनना हो, कि इस बार तो मैं इसे पीऊंगा और एक दिए जाएं–यदि संभव हो तो कॉफी, चाय पुस्तक पढ़ना हो। सभी काम बंद कर दो अतिथि की भांति इसका स्वागत करूंगा।
और धूम्रपान इत्यादि भी छोड़ देने चाहिए, क्योंकि वह भी एक प्रकार का सूक्ष्म नशा इस बार मैं इसे पचा लूंगा।" क्योंकि वे सभी बचने के उपाय हैं। है। बस शांत हो रहो-नितांत अकेले। हो सकता है इसमें कुछ दिन लग जाएं
तुमने कभी देखा? जब भी तुम घबड़ाए प्रार्थना भी मत करो, क्योंकि वह भी एक कि तुम इसे पचा सको, लेकिन जिस दिन होते हो तो तत्क्षण धूम्रपान शुरू कर देते नशा है, तुम व्यस्त होने लगे-तुम यह होता है, तुम ऐसे द्वार पर आ खड़े होते हो। यह घबड़ाहट से बचने का एक उपाय परमात्मा से बात करने लगते हो, प्रार्थना हो जो तुम्हें बहुत-बहुत दूर ले जाएगा। है: तुम धूम्रपान में व्यस्त हो जाते हो। करने लगते हो, स्वयं से बचकर भाग जाते तुम्हारे जीवन में एक नई यात्रा शुरू हो वास्तव में यह पीछे लौटना हो गया। हो।।
गई, तुम एक नए प्रकार की सत्ता में प्रवेश धूम्रपान तुम्हें फिर से शिशुवत हो जाने की अतीशा कह रहे हैं : बस स्वयं हो रहो। कर रहे हो क्योंकि जिस क्षण तुम पीड़ा अनुभूति देता है-चिंतारहित, उत्तरदायित्व उसमें जो भी पीड़ा हो और जो भी विषाद को बिना किसी अस्वीकार के स्वीकृत कर मुक्त-क्योंकि सिगरेट और कुछ नहीं हो, उसे होने दो। पहले इसे इसकी पूर्ण लेते हो, तत्क्षण ही उसकी ऊर्जा और बस प्रतीकात्मक स्तन है। भीतर जाता सघनता में अनुभव करो। यह कठिन गुणवत्ता बदल जाती है। वह पीड़ा नहीं हुआ गरम धुआं तुम्हें उन दिनों में वापस ले होगा, हृदय-विदारक होगाः शायद तुम रहती। जाता है जब तुम मां के स्तनों से पोषण ले एक बच्चे की तरह रोने लगो, शायद तुम वास्तव में व्यक्ति चकित रह जाता है, रहे थे और उष्ण दूध तुममें भीतर जाता गहन पीड़ा में धरती पर लोटने लगो, यह घटना इतनी अविश्वसनीय है कि थाः स्तनाग्र अब सिगरेट बन गया है। तुम्हारा शरीर शायद विभिन्न आकृतियां विश्वास ही नहीं हो पाता। कोई विश्वास सिगरेट एक प्रतीकात्मक स्तन है। लेने लगे। हो सकता है अचानक तुम ही नहीं कर सकता कि विषाद को आनंद
पीछे लौटकर तुम वयस्क होने की सजग हो जाओ कि पीड़ा केवल हृदय में में बदला जा सकता है, कि पीड़ा को जिम्मेदारियों और पीड़ाओं से बच जाते ही नहीं है, पूरे शरीर में है कि पूरा शरीर आह्लाद में बदला जा सकता है। 7