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ध्यान की विधियां
27तीशा ने कहा : एक ही समय
अ में जुड़ने, देने और ग्रहण करने में प्रशिक्षित होओ। श्वास पर आरूढ़ होकर ऐसा करो।
अतीशा कहते हैं: करुणावान होना शुरू करो। और उसकी विधि है, जब तुम श्वास लो-ध्यान से सुनो, यह महानतम विधियों में से है-जब श्वास लो तो सोचो कि तुम संसार के सभी लोगों के सभी दुख पी रहे हो, तो जितना भी
अतीशा की हृदय विधि
अंधकार है, जितने भी नकार हैं, जितने भी भीतर लो।"
और इसे करो तो तुम चकित होओगे। नर्क हैं, तुम उन सब को पी रहे हो। और अतीशा की विधि बिलकुल विपरीत है। जिस क्षण तुम संसार के सभी दुख भीतर इसे अपने हृदय में लीन हो जाने दो। जब तुम श्वास लो तो संसार के अतीत, ले लेते हो, वे दुख नहीं रहते। हृदय तत्क्षण
तुमने पश्चिम के विधायक चिंतकों के वर्तमान और भविष्य के सभी प्राणियों के ऊर्जा को रूपांतरित कर देता है। हृदय विषय में पढ़ा या सुना होगा। वे इससे दुख और पीड़ाएं पी लो।
रूपांतरण की शक्ति है: दुख को पियो, बिलकुल विपरीत बात कहते हैं वे नहीं और जब श्वास छोड़ो, तो अपने सारे और वह आनंद में रूपांतरित हो जाता जानते वे क्या कह रहे हैं। वे कहते हैं, सुख, अपने सारे आनंद, अपनी सारी है...फिर उसे बाहर उंडेल दो। "जब तुम श्वास छोड़ो, तो उसके साथ धन्यता बाहर छोड़ो। श्वास छोड़ो तो स्वयं एक बार तुम जान जाओ कि तुम्हारा अपने सभी दुख और नकार बाहर निकाल को अस्तित्व में उंडेल दो। यही करुणा की हृदय यह जादू, यह चमत्कार कर सकता दो। और जब श्वास लो तो आनंद, विधि है: सभी दुख पी लो और सभी है, तो तुम इसे फिर-फिर करना चाहोगे। विधायकता, सुख और प्रफुल्लता को आशीष उंडेल दो।
इसे करके देखो। यह सबसे व्यावहारिक