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a ने कहा: हे भगवती, जब इंद्रियां हृदय में विलय हो जाएं तब कमल के केंद्र पर पहुंचो ।
ध्यान की विधियां
तो इस विधि में करना क्या है? “जब इंद्रियां हृदय में विलय हो जाएं...” प्रयोग करके देखो! कई उपाय संभव हैं। तुम किसी व्यक्ति को स्पर्श करोः यदि तुम
हृदय का केंद्रीकरण
हृदयोन्मुख व्यक्ति हो तो स्पर्श तत्क्षण तुम्हारे हृदय पर पहुंच जाता है, और तुम उसकी गुणवत्ता महसूस कर सकते हो। यदि तुम किसी ऐसे व्यक्ति का हाथ अपने हाथ लो जो बुद्धि की ओर उन्मुख हो, तो उसका हाथ ठंडा होगा - शारीरिक रूप से ही नहीं, उसका आंतरिक गुण भी ठंडा होगा। उसके हाथ में एक तरह का मुरदापन होगा। यदि व्यक्ति हृदयोन्मुख हो, तो उसके हाथ में एक उष्मा होती है।
तब उसका हाथ तुम्हारे साथ पिघलने लगेगा। तुम्हें लगेगा उसके हाथ में से तुम्हारी ओर कुछ बह रहा है, और एक मिलन होगा, उष्मा का एक संवाद होगा।
यह उष्मा हृदय से आती है। वह कभी मस्तिष्क से नहीं उठ सकती क्योंकि मस्तिष्क सदा ठंडा और हिसाबी होता है। हृदय उष्म होता है, गैर- हिसाबी होता है। मस्तिष्क सदा यही सोचता है कि कैसे और ज्यादा लिया जाए, और हृदय को लगता है
कि कैसे और ज्यादा दें। वह उष्मा तो बस एक दान है—ऊर्जा का दान, अंतर्तरंगों का दान, जीवन का दान । इसीलिए तुम उसमें एक भिन्न गुणवत्ता का अनुभव करते हो। यदि वह व्यक्ति तुम्हें सच ही आलिंगन में ले तो तुम्हें उसके साथ पिघलने का गहन अनुभव होगा ।
स्पर्श करो! अपनी आंखें बंद कर लो; कुछ भी छुओ। अपने प्रेमी या प्रेमिका को छुओ, अपने बच्चे को या अपनी मां को
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