SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 271
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ -श्री हेमचंद्राचार्य धंधूका नगर में चाचिंग नामक सेठ रहते थे। उनको पाहिनी नामक पत्नी थी। वह गुणवान व शीलवती थी। जैन धर्म के प्रति उन्हें पूर्ण श्रद्धा थी। एक रात्रि को पाहिनी को स्वप्न आया। उसे दो दिव्य हाथ दिखे।दिव्य हाथों में दिव्य रत्न थे। यह चिंतामणि रत्न है, तू ग्रहण कर' कोई बोला नहीं, पाहिनी ने रत्न ग्रहण किया। वह रत्न लेकर आचार्यदेव श्री देवचन्द्र सूरी के पास जाती हैं। 'गुरूदेव, यह रत्न आप ग्रहण करें। और रत्न गुरूदेव को अर्पण कर देती हैं । उसकी आँखों में हर्ष के आंसू उभट्ट आते हैं। ... स्वप्न पूरा हो जाता है । वह जागती हैं। जागकर नवकार मंत्र का स्मरण करती हैं। वह सोचते हैं - गुरूदेव श्री देवचन्द्रसूरी नगर में ही हैं । उनको मिलकर स्वप्न की बात करूं। . सुबह उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर वह गुरूदेव के पास गई और स्वप्न की बात उनको कही। , गुरूदेव ने कहा, 'पाहिनी, तूझे खूब अच्छा स्वप्न आया है। तूझे श्रेष्ठ रत्न जैसा पुत्र होगा और वह पुत्र तू मुझे देगी। यह तेरा पुत्र जिनशासन का महान आचार्य बनेगा और शासन को शोभायमान करेगा।' ___. पाहिनी राजी राजी हो गयी। उसे गुरूदेव पर श्रद्धा थी।साधू जीवन में सच्चा सुख है ऐसा वह समझती थी, उसने अपनी साडी के सिरे पर गांठ बांधकर स्वप्न बांध लिया। उसी रात्रि को उसके पेट में कोई उत्तम जीव गर्भ रूप में ठहरा। पाहिनी गर्भको कोई नुकसान न हो उस प्रकार से शरीर संभालती है। रोजाना प्रभुभक्ति - परमात्मा की पूजा करती है। गरीबो को दान देती हैं। अपने पति के साथ तत्त्वज्ञान की बातें करती हैं। विक्रम संवत 1145 की कार्तिक पूर्णिमा को पाहिनी ने पुत्र को जन्म दिया। वह पूर्णिमा के चांद जैसा गोरा गोरा पुत्र देखकर खुश खुश हो गयी। उस समय आकाशवाणी हुई : 'पाहिनी और चाचिंग का यह पुत्र तत्त्व का ज्ञाता बनेगा और तीर्थंकर की भाँति जिन धर्म का प्रसारक बनेगा।' जिन.शासन के चमकते हीरे • २४४
SR No.002365
Book TitleJinshasan Ke Chamakte Hire
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVarjivandas Vadilal Shah, Mahendra H Jani
PublisherVarjivandas Vadilal Shah
Publication Year1997
Total Pages356
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy