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________________ जो पानी इस समय पिया वह उत्तमोत्तम है। क्या उसका स्वाद! क्या उसका रंग! क्या उसकी गंध और क्या उसकी हीम से भी अधिक शीतलता! मैं तो ऐसे पानी को सर्वश्रेष्ठ जल कहता हूँ।' प्रशंसा करते करते राजा ने सेवक को पूछा, 'यह पानी तू कहाँ से लाया?' सेवक बोला : 'महाराज! यह पानी मंत्रीश्वर के यहाँ से आया है। राजा ने सुबुद्धि को बुलाकर पूछा, 'तू इतना अच्छा पानी कहाँ से लाया?' . सुबुद्धि ने जवाब दिया, 'महाराज! यह पानी वही गंदी खाई का ही है।' राजा ने विस्मय से पूछा : 'क्या उसी गंदी खाई का है?' सुबुद्धि ने कहा : 'महाराज! यह उसका ही पानी है। जैन शासन कहता है - वस्तु मात्र परिवर्तनशील है। जब आपने भोजन के बखान किये और पानी की निंदा की तब आपको जैन सिद्धांत का परमार्थ समझाने का मैंने किया मगर आपके मानने में वह बात आयी नहीं, इसलिये मैंने खाई के गंदे पानी पर प्रयोग प्रत्यक्ष कर दिखाया।' तथापि राजा को सुबुद्धि मंत्री की बात पर विश्वास न आया। उसने अपनी देखरेख में खास आदमियों द्वारा जल मंगवाकर सुबुद्धि मंत्री के कहे अनुसार वह प्रयोग कर देखा। इसके बाद उसे पूरा भरोसा बैठ गया कि सुबुद्धि का कहना पूर्णरूपेण सही है । इसलिये उसने सुबुद्धि को बुलाकर पूछा : 'वस्तु के स्वरूप विषय का ऐसा ज्ञान तुमने पाया कहाँ से?' सुबुद्धि ने नम्रता से कहा, 'प्रभु जिनेश्वर देव के वचनों से मैं वह सिद्धांत समझा हूँ। इस कारण सुन्दर चीजें देखकर मैं उत्तेजित नहीं होता, और खराब चीजें देखकर उब भी नहीं जाता। वस्तु के पर्यायों का यथार्थ ज्ञान होने से विवेकी आत्मा अपना समभाव टिकाकर बराबर मध्यस्थ रह सकती है। इससे रागद्वेष तथा कषायों के योग से मलिनता उनकी आत्मा में प्रवेश नहीं करती।' श्रमणोपासक सुबुद्धि मंत्री की ऐसी उमदा बातें सुनकर राजा को जैन सिद्धांत का रहस्य समझने की तीव्र उत्कण्ठा हुई। तत्पश्चात् सुबुद्धि मंत्री ने राजा को जैन सिद्धांत में रहे जीवादि तत्त्वों का रूप समझाया । राजा ने जैन धर्म अंगीकार किया। ___ क्रमशः सद्गुरु की निश्रा में रत्नत्रयी की आराधना करके उन दोनों ने कर्म क्षय करके मुक्तिपद पा लिया। जिन शासन के चमकते हीरे . २१०
SR No.002365
Book TitleJinshasan Ke Chamakte Hire
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVarjivandas Vadilal Shah, Mahendra H Jani
PublisherVarjivandas Vadilal Shah
Publication Year1997
Total Pages356
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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