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________________ दोहा-पाहुड 105. Compare पाणि वहंतें णिरय-गइ जीव-दयए पुणु सग्गु । बेण्णि-वि पन्था कहिअ मई जहिं जाणसि तर्हि लग्गु ॥ DK. 19 122. Compare एक्क-घरहिं ठिअ महिल मणूसाउ एक्कु ण दीसइ भण सहि कइसउं। DK. 155 ab. 147.b. with को पुज्जइ कह पुज्जिअइ Compare पुज्ज चडावउं कस्स 173. is from DK. which reads पत्तमुसारिउ मसि-मिलिउ पाढंता वउ खीणु । . जाणिउ तें णवि परम-पउ कहिं उइअउ कहिं लीणु ॥ 37 175. is from DK. which reads अग्गए पच्छए दस-दिसिहं, जं जं जोवगि सो-वि। एवंहि निट्ठिअभंतडी णाहु ण पुच्छमि को-वि ॥ 48 Variants : अब्बहि णाह भान्ति तुट्टिअ , (भोट); दह दिहहि जो जो दीसइ तत्त सो । अज्जहि तइसो भन्ति एब्बे मा पुच्छ कोई ॥ (बागची) 176. is from DK. which reads जिवं लोणु विलिज्जइ पाणियहिं , तिवं जइ चित्तु विलाइ । अप्पा दीसइ परहि सदुं तत्थ समाहिए काइं॥ 42 and also DK. 57 which reads बुद्धि विणासइ मणु मरइ , तुट्टइ जहिं अहिमाणु । सो माआमउ परमु कलु , तहिं किं बज्झइ झाणु ॥ 183 compare DK. which reads जावंहिं मणु अत्थमणु जाइ तणु तुट्टइ बंधणु । ताहि समरसहि मज्झे णउ सुद्दु ण बंभणु ॥
SR No.002359
Book TitleDoha Ppahudam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorH C Bhayani, Ramnik Shah, Pritam Singhvi
PublisherParshva International Shaikshanik aur Shodhnishth Pratishthan
Publication Year1999
Total Pages90
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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