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185.
190
दोहा-पाहुड This is from DK. 50 which reads ___ अप्पा परहिं ण मेलविउ गवंणागवण न भग्ग । - तुस कुटुंतें कालु गउ चाउल हत्थे ण लग्ग ॥ compare DK. 89 which reads
बध्धउ गच्छइ दस-दिसिहिं मुक्को णिच्चलु ठाइ ।
एवंइ करहा पेक्खु सहि विवरिउ महु पडिहाइ ॥ This is from DK. 129 which reads
णिजिअ-सासो णिप्फंद-लोअणो मुक्क-सअल-विआरो ।
जो एआवत्थ-गओ सो जोई त्थि संदेहो ॥ is from DK. 39 which reads मंतु ण तंतु ण धेउ ण धारण सव्व-वि रे वढ विब्भम-कारण । असमलु चित्तु म झाणे खरडहों सुहे अच्छंते म अप्पणु झगडहो ॥
203.
206.
Some verses common or parallel between DP. and PP.
with variants noted
2.
DP.3 = PP. 117 ___Variant जं सुह विसय-परम्मुहउ DP. 39.
जं मुणि लहइ अणंतु सुहु PP. 119 DP.7 = PP. 225. Compare YS.52 :
धंधइ पडियउ सयलु जगि णवि अप्पा हु मुणंति ।
तहिं कारणि ए जीव फुडु , ण हु णिव्वाणु लहंति ॥ It should be noted that YS. 52 a b c d are the same as YS 53 ___bcd. DP. 8 = PP. 256 Variant : लक्खइं (PP.) for लक्खहिं (DP.)
कलत्तहिं (PP.) for कलत्तइं (v.1. कलत्तहं) (DP.)
3.