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________________ इन छः भेदों के भी ८-८ उपभेद बतलाए गए हैं और गोमूत्रिकादि बन्धों के २१ भेद बताए है। काव्यप्रकाशकार मम्मट (११वीं शती) ने भी नवम उल्लास में लिखा है :तच्चित्रं यत्र वर्णानां खङ्गाद्याकृतिहेतुता ॥ ८५ ॥ यह कहकर खङ्ग, मुरज, पद्म, सर्वतोभद्र के उदाहरण दिए है। अलङ्कारदर्पण यह प्राकृत की रचना है । अतः इसका समय ११वीं१२वीं शताब्दी माना जा सकता है। इसमें भी विशेष वर्णन प्राप्त नहीं होता है। कवि धर्मदास (११-१२वीं सदी) ने विदग्धमुखमण्डन की रचना की है। यह सारा ग्रन्थ ही चित्रकाव्य के भेद, उपभेद, प्रभेदों से समन्वित है। इसमें चित्रकाव्य के ६८ भेद बताए है ( पद्य ९ - १८ तक) । वे निम्न है: - १. व्यस्त, २. समस्त, ३. द्विव्यस्त, ४. द्विसमस्तक, ५. व्यस्तसमस्तक, ६. द्विव्यस्तसमस्तक, ७. द्विसमस्तकव्यस्त, ८. एकालाप, ९. प्रभिन्नक, १०. भेद्यभेदक, ११. ओजस्वी, १२. सालङ्कार, १३. सकौतुक, १४. प्रश्नोत्तरसम, १५. पृष्टप्रश्न, १६. भग्नोत्तर १७. आद्युत्तर, १८. मध्योत्तर, १९. अन्त्योत्तर, २०. अपह्नुत, २१. विषम, २२. वृत्त, २३. नामाख्यात, २४. तर्कशास्त्र, २५. सौत्र, २६. शब्द, २७. शास्त्र, २८. वर्णोत्तर, २९. वाक्योत्तर, ३० श्लोकोत्तर, ३१. पादोत्तर, ३२. खण्डोत्तर, ३३. चक्र, ३४. पद, ३५. कालपद, ३६. गोमूत्र, ३७. सर्वतोभद्र, ३८. गतप्रत्यागत, ३९. वर्द्धमानाक्षर, ४०. हीयमानाक्षर, ४१. शृङ्खला, ४२. नागपाश, ४३. चिचिंक्षा, ४४. संसुद्ध, ४५. प्रहेलिका, ४६. हृद्य, ४७. कालसार, ४८. अजमारादि, ४९. गूढपद, ५०. पादार्थ गूढक, ५१. स्तुति निन्दा, ५२. व्यर्थ, ५३. अपह्नुति, ५४. अपह्नुति बिन्दु, ५५. क्रिया, ५६. कारक, ५७. सम्बन्ध, ५८. गुप्तान्यामन्त्रित, ५९. गुप्तान्य, ६०. लिङ्ग समास, ६१. वचन, ६२. मात्रा, ६३. बिन्दु, ६४. विसर्ग, ६५. च्युताक्षर, ६६. स्थानच्युत, ६७. व्यञ्जन च्युत, ६८. च्युतदत्ताक्षर । प्रश्नजाति के इन ६८ भेदों को प्रथम परिच्छेद में ९, दूसरे परिच्छेद में २०, तीसरे परिच्छेद में १५ और चौथे परिच्छेद में प्रहेलिकादि २४ भेदों का विवेचन लक्षणोदाहरण के साथ किया है 1 कवि जिनवल्लभ ने प्रस्तुत ग्रन्थ के प्रथम पद्य में कहा है कि- 'कुछ प्रश्न भेदों का वर्णन करूँगा।' ऐसा प्रतीत होता है कि कवि जिनवल्लभ ने २१
SR No.002344
Book TitlePrashnottaraikshashti Shatkkavyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvallabhsuri, Somchandrasuri, Vinaysagar
PublisherRander Road Jain Sangh
Publication Year2008
Total Pages186
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size25 MB
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