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सारेण कृतमास्ते । प्रयोजनमनुद्दिश्य तु मन्दोऽपि न प्रवर्तते । पुरातत्त्वविभागोऽयं पूर्वकालिकानां कलाकृतीनां रचनादीनां तथा च कस्मिन् राजनि शास्ति ? कस्य मन्दिरस्य निर्माणम् ? कीदृशी पूजापद्धतिः ? कीदृशी वास्तुकला ? कीदृशी स्थापत्यकला-मूर्तिकला आसीत् ? इति विषये प्राचीनात् प्राचीनतरं सूक्ष्म गहनं विविच्य प्रस्तौति, वितनोति च प्राचीनकलाकौमुदीमिति ।
* हिन्दी अनुवाद-प्रत्येक महानगर एवं नगर में पुरातत्त्व विभाग के द्वारा प्राचीन वस्तुओं प्रतिमा-मूत्ति, अस्त्र, शस्त्र, शास्त्र इत्यादि का संचय-संग्रह किया गया है। उद्देश्य के बिना तो सामान्यजन की प्रवृत्ति भी किसो विशेष कार्य में नहीं होती है। अतः पुरातत्त्वविभाग का कार्य भी सोद्देश्य है। यह पुरातत्त्व विभाग-प्राचीन समय में किस राजा-महाराजा के शासनकाल में किस प्रकार की कलाकृतियाँ तथा रचनायें थीं। वास्तुकला, स्थापत्यकला, मूर्तिकला इत्यादि कैसी थी, इस विषय में प्राचीन से प्राचीन सूक्ष्म तथा गहन विवेचन करके प्रस्तुति प्रदान करता है तथा प्राचीन कलाओं की यशोगाथा को प्रामाणिक विस्तार देता है ।। ३६ ।।
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