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________________ रूपेण कथयितु अस्माकं शक्तिरपि नास्ति तथापि किमपि एकस्य श्रीश्रीपालचरित्रविषये कथयामः-प्राचीनकाले चम्पापुर्याः श्रीसिंहरथनृपतेः कमलप्रभाराज्याः श्रीश्रीपालनाम नन्दनोऽभूत् । बाल्यकाले स स्वकीयशरीरस्य कान्त्या श्रिया च देवकुमारसदृशः मन्ये यत् तं पुरं कामदेवोऽपि तृणमात्रमिवाऽसीत् । * हिन्दी अनुवाद-हम श्रीजिनमूर्तिपूजा के विषय में 'बारम्बार क्या कहें ? उसकी महिमा एवं गरिमा अनन्त और अपरम्पार है। सम्पूर्णतया स्पष्ट करने की हमारे पास शब्द-सामर्थ्य भी नहीं है, तथापि ग्यारह लाख वर्ष पूर्व हुए श्रीश्रीपाल-मयणा के चरित्र के विषय में कुछ कहते हैं-प्राचीन काल में चम्पा नाम की नगरी का सिंहरथ नाम का राजा था। उसके कमलप्रभा नाम की रानी थी तथा श्रीपाल नाम का पुत्र था। बचपन में वह अपनी शारीरिक सुषमा से देवकुमार की तरह सुन्दर था । उसको सुन्दरता एवं सुकुमारता से मानों कामदेव भो उसके आगे तिनके सा प्रतीत होता था ।। १०२ ॥ श्रीजिन-6 --- १२६ ---
SR No.002336
Book TitleJinmurti Pooja Sarddhashatakam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSushilsuri
PublisherSushil Sahitya Prakashan Samiti
Publication Year1994
Total Pages206
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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