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स्याद्वादबोधिनी - १३२
( दृष्टिकोण) में अनेकान्तवाद - स्याद्वाद अतः प्रत्येक वस्तु स्यात् नित्य, स्यात्
की स्थिति है ।
उत्पाद, व्यय और
ध्रौव्य परस्पर भिन्न
अनित्य भी है । होकर भी श्रीजैनमत में सापेक्ष हैं । रिक्त वेदान्तदर्शन आदि एकान्तवादी भी
सर्वथा नित्य मानते हैं तथा कहते हैं कि
श्री जैनदर्शन
बौद्धदर्शन के प्रति
वस्तु तत्त्व को
ब्रह्मा ने सभी
सांख्यमत में प्रकृति भी वस्तु-पदार्थों को भोगार्थ ही उत्पन्न करती है । उपभोग के लिए ही मिट्टी में बीज बोता है । इत्यादि स्वमतपोषक वार्ताओं से आपके सार्वभौम अनेकान्तवादी सिद्धान्त की अवहेलना करते हैं ।
- । वस्तु पदार्थ भोग के लिए बनाये हैं ।
वस्तुतः उत्पाद-व्यय- ध्रौव्य संवलित सभी को सश्रद्ध स्वीकार करना चाहिए ।। २१ ।।
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अथान्ययोगव्यवच्छेदकस्य प्रस्तुतत्वात् प्रास्तां तावत् साक्षाद्, भवान्, भवदीय प्रवचनावयवा अपि परतीर्थिकतिरस्कारबद्धकक्षा इत्याशयवान् स्तुतिकारः स्याद्वादव्यवस्थापनाय प्रयोगमुपन्यस्यन् ग्रह
पदार्थ - लक्षण