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पूज्यपाद प्राचार्य श्रीमद् विजयहेमप्रभसूरिजी म. आदि स्वागतपूर्वक पधारे । दोनों पूज्य प्राचार्य भगवन्त का संमिलन हुआ । परम पूज्य आचार्यदेव श्रीमद् विजय सुशीलसूरीश्वरजी म.सा. के प्रवचन बाद, पूज्य मुनिराज श्रीमणिप्रभविजयजी म. का व्याख्यान हुआ । सर्वमंगल के पश्चात् प्रभावना हुई । उसी दिन श्रीअष्टापद तीर्थं की पूजा पढ़ाई गई ।
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वैशाख सुद १५ बुधवार दिनांक १३-५-८७ के दिन ६ प्रकारी पूजा पढ़ाई गई ।
ज्येष्ठ (वैशाख) वद १ गुरुवार दिनांक १४-५-८७ के दिन पूज्यपाद प्राचार्य श्रीमद् विजय सद्गुणसूरिजी म. सा., पूज्य मुनिराज श्री सागरचन्द्रविजयजी म. तथा पूज्य बालमुनि श्री चन्द्रपालविजयजी म. आदि स्वागतपूर्वक पधारे । दोनों प्राचार्य म. सा. का संमिलन चार वर्ष के बाद हुआ । आज श्रीसंघ को दोनों आचार्य भगवन्त के प्रभाविक प्रवचन के पश्चाद् तखतगढ़ वाले पूज्य मुनिराज श्रीसागरचन्द्रविजयजी म. के भी व्याख्यान - श्रवरण का लाभ सुन्दर मिला । प्रान्ते सर्वमंगल के बाद प्रभावना हुई । इन्द्रध्वज-रथ-हाथी-घोड़े - बैन्ड आदि युक्त शानदार भव्य जुलूस - वरघोड़ा निकला । अन्तरायकर्मनिवारण की पूजा
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