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________________ • वैशाख सुद ११ शनिवार दिनांक ६-५-८७ के दिन नूतन मुनि श्रीपूण्योदयविजयजी म. की बड़ी-दीक्षा विधिपूर्वक हुई। 'श्री सिद्धचक्रमहापूजन' विधिपूर्वक पढ़ाया गया। • बारस के दिन बारह व्रत की पूजा पढ़ाई गई। • वैशाख सुद १३ सोमवार दिनांक ११-५-८७ के दिन 'श्रीवीशस्थानक महापूजन' विधिपूर्वक पढ़ाया गया। उसी दिन संघवी मूलचन्द हजारीमलजी के घर पर पूज्यपाद आचार्य म.सा. चतुर्विध संघ तथा बैन्ड समेत पधारे। वहाँ पर ज्ञानपूजन के बाद पूज्यपाद प्राचार्य म.सा. ने संघवीजी श्रीमान् मूलचन्दजी को पुण्यप्रकाश का स्तवन और पद्मावती की आराधना आदि सुनाये। उसी समय पूज्यपाद श्री के सदुपदेश से अपनी तरफ से सातों क्षेत्रों में तथा जीव-दया में लाभ लेने के लिए उन्होंने अच्छी रकम जाहेर कर दी। बाद में प्रभावना हुई। शा. बाबूलाल पूनमचंदजी के वहाँ तथा शा. नथमल पूनमचंदजी के वहाँ पर भी चतुर्विध संघ सहित पूज्यपाद श्री के पगलां हुए। ज्ञानपूजन एवं मंगल प्रवचन के पश्चात् प्रभावना हुई। • वैशाख सुद १४ मंगलवार दिनांक १२-५-८७ के दिन ( १८३ )
SR No.002334
Book TitleGandharwad Kavyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSushilsuri
PublisherSushilsuri Jain Gyanmandiram
Publication Year1987
Total Pages442
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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