SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 404
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ पूर्वक पढ़ाया गया। तथा फागरण सूद तीज के दिन भी उन्हीं के पावन सान्निध्य में संघप्रयाण-प्रसंग उल्लासपूर्वक सम्पन्न हुआ था ।) . जैनधर्मदिवाकर परमपूज्य आचार्य भगवन्त श्रीमद् विजय सुशील सूरीश्वरजी म. सा. आदि ने फागण सुद ४ मंगलवार दिनांक ३-३-८७ के दिन जोधपुर नगर से विहार किया। मोगरा, रोहट, गड़गांव, केरला तथा घुमटी होकर फागण सुद ८ शनिवार दिनांक ७-३-८७ के दिन पाली पधारे। वहाँ से गुंदोज, खौड़ होकर जवाली बेन्ड युक्त स्वागत पूर्वक फागण सुद १० के दिन पधारे । श्रीमान् रूपचन्दजी के घर पर पगलां किये। वहाँ पर उन्होंने पैदल संघ निकालने की प्रतिज्ञा ली। ज्ञानपूजन के बाद उनको मांगलिक सुनाया। जिनमन्दिर में दर्शनादि करने के पश्चात् पूज्यपाद प्राचार्य म. सा. का मंगल प्रवचन हुआ। प्रान्ते प्रभावना हुई। दोपहर में पूजा प्रभावनापूर्वक पढ़ाई गई। फागण सुद ११ बुधवार दिनांक ११-३-८७ के दिन पूज्यपाद प्राचार्य म. सा. के सदुपदेश द्वारा श्रीसंघ में प्रतिष्ठा निमित्त एकता का वातावरण बनने के बाद, श्रीसंघ की जाजम बिछाने पर बोलियाँ बोलने का लाभ जवाली संघ के सदस्यों ने अच्छा लिया। ( १७१ )
SR No.002334
Book TitleGandharwad Kavyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSushilsuri
PublisherSushilsuri Jain Gyanmandiram
Publication Year1987
Total Pages442
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy