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का कार्यक्रम रहा। श्रीसंघ ने चातुर्मास की भावपूर्ण विनंति की। शा. जौहरीलालजी प्रेमकुमार मेहता की तरफ से अन्तराय कर्म की पूजा पढ़ाई गई। एवं स्वामीवात्सल्य शा. सुमेरमलजी मानमल मेहता की ओर से
हुआ।
• महा सुद १४ गुरुवार दिनांक १२-२-८७ के दिन परमपूज्य प्राचार्यदेव श्रीमद्विजयसुशीलसूरीश्वरजी म. सा. की शुभ निश्रा में शुभ लग्न मुहूर्त में श्री धर्मनाथ जिनमन्दिर में मूलनायक श्री धर्मनाथ भगवान के नूतन परिकर की प्रतिष्ठा तथा मंगलमूर्ति स्थापना की गई, एवं वर्षगाँठ निमित्ते नूतन ध्वजा चढ़ाने में आई। श्री विमलनाथ भगवान के मन्दिर में वर्षगाँठ निमित्ते नूतन ध्वजा चढ़ाने में आई। श्रीमुनिसुव्रतस्वामी के मन्दिर में नूतन यक्ष-यक्षिणी मूर्ति की स्थापना हुई तथा वर्षगाँठ निमित्ते नूतन ध्वजा चढ़ाने में आई। दादावाड़ी में श्री शान्तिस्नात्र महापूजा तथा स्वामीवात्सल्य दोनों कार्य शा. गजराजजी नवरतनमलजी गढवाणी की ओर से हुए । परम पूज्य आचार्य म. सा. आदि विहार करके शाम को गरणिया गाँव पधारे।
• महा सुद १५ शुक्रवार दिनांक १३-२-८७ के दिन
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