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सत्तरहभेदी पूजा व श्री दादा साहब की पूजा तथा स्वामीवात्सल्य शा. केवलचन्दजी रांका सेठ की तरफ से हुए। उसी दिन पूज्य आचार्य म. श्री प्रादि बिलाड़ा पधारे । • फागण (महा) वद १ शनिवार दिनांक १४-२-८७ के दिन नव्वाणुं प्रकारी पूजा शा. तखतराजजी भण्डारी की ओर से पढ़ाई गई तथा स्वामीवात्सल्य शा. शुकनराज जी धरमचन्दजी फूलगर को तरफ से हुआ। शासनप्रभावनापूर्वक प्रतिष्ठा-महोत्सव की पूर्णाहुति हुई। उसी दिन पूज्य आचार्य म. सा. आदि भावी गाँव पधारे । • फागण (महा) वद २ रविवार दिनांक १५-२-८७ के दिन भावी गाँव से विहार द्वारा श्री कापरड़ाजी तीर्थ पधारते हुए परम पूज्य आचार्य म. सा. आदि का पेढ़ी की
ओर से स्वागत किया गया। श्री पार्श्वनाथ प्रभु के दर्शनादि करके पूज्यश्री आदि धर्मशाला में बिराजे । दोपहर में इस पेढ़ी के प्रेसीडेन्ट श्रीमान् चिमनमलजी तथा श्रीमान् मांगीलालजी कोका आदि वन्दना हेतु आये । उस वक्त पूज्यपाद प्राचार्य म. सा. के सदुपदेश से इस विशालकाय जिनमन्दिर की एक दिशा तरफ की शृंगार चौकी बनाने के लिये श्रीमान् चिमनमलजी ने अपनी स्वीकृति दी।
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