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के शुभ अवसर पर श्रीसंघ की ओर से श्रीशान्तिस्नात्र महापूजा युक्त 'अष्टाहि नका-महोत्सव' का प्रारम्भ दादावाड़ी के श्रीधर्मनाथ जिनमन्दिर में हुआ। उसी दिन पूज्यपाद प्राचार्य म. सा. का तथा पूज्य मुनिराज श्रीजिनोत्तमविजयजी म. का प्रवचन हुआ। श्रीनवपदजी की पूजा शा. रतनचन्दजी कोठारी की ओर से पढ़ाई गई तथा स्वामीवात्सल्य श्रीजैन श्वेताम्बर मत्तिपूजक संघ की तरफ से हुअा। प्रतिदिन व्याख्यान, पूजा, प्रभावना, प्रांगी, रोशनी तथा रात को भावना का कार्यक्रम चालू रहा। • महा सुद १० रविवार दिनांक ८-२-८७ के दिन श्री धर्मनाथजिनमन्दिर में तथा श्री मुनिसुव्रतस्वामी जिनमन्दिर में कुम्भस्थापना शा. केवलचन्दजी रांका सेठ की ओर से तथा अखण्ड दीपक शा. मनोहरलालजी फूलगर की तरफ से हुए। पूर्ववत् अाज भी दादावाड़ी में व्याख्यान हुआ। संघवी श्री जौहरीलालजी सुरेन्द्रकुमार पटवा की ओर से श्रीवीशस्थानकपूजा तथा स्वामीवात्सल्य दोनों हुए। • महा सुद ११ सोमवार दिनांक ६-२-८७ के दिन दादावाड़ी के जिनमन्दिर में नवग्रहादि पाटलापूजन विधि
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