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________________ प्रथम माला पहनने का लाभ मुण्डारा निवासी शा. जोरावरमलजी मेहता की धर्मपत्नी को मिला । इस प्रसंग पर उपधान कराने वाले शा. बस्तीमल रायचन्दजी मण्डलेशा ने तथा उनकी धर्मपत्नी ने चतुर्थ ब्रह्मचर्य व्रत भी विधिपूर्वक उच्चरा । उनकी ओर से साधर्मिक वात्सल्य आज भी हुआ और 'अष्टाहि नका - महोत्सव' शासनप्रभावनापूर्वक निर्विघ्न परिपूर्ण हुआ । (१६) महा (पौष) वद १ शुक्रवार दिनांक १६-१-८७ के दिन राजस्थान - दीपक परम पूज्य प्राचार्यदेव श्रीमद् विजय सुशील सूरीश्वरजी म. सा. के पशु चिकित्सालय में पुनीत पगलां हुए, विशेष स्थान में खातमुहूर्त्त हुआ तथा पूज्यश्री का मांगलिक प्रवचन हुआ । बाद में मुण्डारा की स्कूल के विशाल प्रांगण में पूज्यपाद प्राचार्य म. सा. का 'जाहेर प्रवचन' हुआ । शा. जोरावरमलजी मेहता आदि तीन सद्गृहस्थों के घर पर चतुर्विध संघ के साथ पूज्य गुरुदेव प्राचार्य म. सा. के पगलियाँ हुए । तीनों ही स्थलों पर ज्ञानपूजन एवं मंगल प्रवचन के पश्चात् प्रभावना हुई । ३ महा (पौष) वद २ शनिवार दिनांक १७-१-८७ के ( १५४ )
SR No.002334
Book TitleGandharwad Kavyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSushilsuri
PublisherSushilsuri Jain Gyanmandiram
Publication Year1987
Total Pages442
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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