SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 386
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ के दिन श्री सिद्धचक्रमहापूजन, बारस के दिन श्रीऋषिमण्डलमहापूजन, तेरस के दिन बृहद् श्री अष्टोत्तरीस्नात्र विधिपूर्वक सुन्दर पढ़ाया गया। चौदस के दिन श्री उपधान तप मालारोपण का शानदार वरघोड़ा निकाला गया। उसमें दो रथ, दो इन्द्रध्वज, तीन हाथी, घोड़े और दो बेन्ड तथा उपधानवाहियों को विधिपूर्वक पहनाने की अनेक मालाओं के थाल इत्यादि शोभा दे रहे थे। उसी दिन सार्मिकवात्सल्य भी था। विधिकारक श्री मोतीलालजी विजोवा वाले ने पूजनविधि अच्छी करवाई थी और संगीतकार श्री अशोककुमार गेमावत बाली वाले ने पूजा और भावना में प्रभु भक्ति का रंग अच्छ। जमाया था । (१५) पौष सुद १५ गुरुवार दिनांक १५-१-८७ के दिन सदा सूरिमन्त्रसमाराधक - मरुधरदेशोद्धारक-शास्त्रविशारद-पूज्यपाद आचार्यदेव श्रीमद् विजय सुशील सूरीश्वरजी म. सा. की पावन निश्रा में ११ वर्ष से लेकर ८० वर्ष की उम्र के ८५ आराधक महानुभावों में से प्रथम उपधान वाले ५१ अाराधकों के विधिपूर्वक मालारोपण का अनूठा प्रसंग नाण समक्ष विशाल जैन-जैनेतर जनता की उपस्थिति में शासनप्रभावनापूर्वक सुन्दर उजवाया। उनमें ( १५३ )
SR No.002334
Book TitleGandharwad Kavyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSushilsuri
PublisherSushilsuri Jain Gyanmandiram
Publication Year1987
Total Pages442
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy