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चन्दन विजयजी गरणीन्द्र म. सा. शाम को समाधिपूर्वक कालधर्म को प्राप्त हुए। उनका समाचार आने के साथ परम पूज्य आचार्य म. सा. आदि ने संघ सहित देववन्दन ११ के दिन किया तथा प. पू. आ. म. सा. की प्रेरणा से स्वर्गीय पूज्य उपाध्यायजी म. सा. के प्रात्मश्रेयार्थे श्रीसंघ की ओर से पौष (मागशर) वद १४ मंगलवार दिनांक ३०-१२-८६ के दिन से 'नवाह्निका महोत्सव' का प्रारम्भ हुआ। प्रतिदिन पूजा-प्रभावना-प्रांगी-रोशनी अादि का कार्यक्रम चालू रहा। ___पौष सुद ६ सोमवार दिनांक ५-१-८७ के दिन 'श्री भक्तामर महापूजन' विधिपूर्वक पढ़ाया गया तथा पौष सुद ८ बुधवार दिनांक ७-१-८७ के दिन पूजा पढ़ा करके नवाह्निका-महोत्सव की पूर्णाहुति की।
(१४) पौष सुद ६ गुरुवार दिनांक ८-१-८७ के दिन से उपधान कराने वाले शा. बस्तीमल रायचन्दजी मण्डलेशा की ओर से श्री उपधान तप मालारोपण का तीन पूजन युक्त अष्टाह्निका-महोत्सव का प्रारम्भ हुआ। साथ में २३ छोड़ का भव्य उद्यापन भी सामुदायिक श्रीसंघ की अोर से रखा गया। प्रतिदिन पूजा-प्रभावना-प्रांगी-रोशनी तथा रात को भावना का कार्यक्रम चालू रहा। ग्यारस
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