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________________ किये। वहाँ पर ज्ञानपूजन तथा मंगल प्रवचन के बाद संघपूजा हुई। (११) मागशर सुद १४ सोमवार दिनांक १५-१२-८६ के दिन अहमदाबाद-पांजरापोल के तीर्थ-यात्रा में आये हुए भाई-बहिन परम पूज्य आचार्य म. सा. की वन्दनार्थ आए। शाम को प्रतिक्रमण में दोनों स्थलों में एक-एक रुपये की प्रभावना हुई। (१२) श्री शंखेश्वर पार्श्वनाथ प्रभु के अट्ठम तप की आराधना का प्रारम्भ पौष (मागशर) वद ६ गुरुवार दिनांक २५-१२-८६ के दिन से श्रीसंघ में हुआ। ६, १०, ११ तीनों दिन प्रभावना युक्त पूजा पढ़ाने का कार्यक्रम तथा १२ दिन के तपस्वियों को एकासणे से क्षीर का पारणा कराने का लाभ मुण्डारा निवासी शा. जवानमलजी भीखमचन्दजी ने लिया । (१३) पौष (मागशर) वद १० शुक्रवार दिनांक २६-१२-८६ के दिन सिरोही में शासनसम्राट् परमपूज्याचार्य महाराजाधिराज श्रीमद् विजय नेमि सूरीश्वर जी म. सा. के पट्टालंकार साहित्यसम्राट् परमपूज्याचार्यप्रवर श्रीमद् विजय लावण्य सूरीश्वरजी म.सा. के पट्टधरसंयमवयस्थविर-निस्पृही-सुसंयमी पूज्य उपाध्याय श्री ( १५१ )
SR No.002334
Book TitleGandharwad Kavyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSushilsuri
PublisherSushilsuri Jain Gyanmandiram
Publication Year1987
Total Pages442
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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