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३०-११-८६ के दिन द्वितीय मुहूर्त में भी भाई-बहिनों ने श्री उपधान तप की आराधना में प्रवेश किया।
(७) मागशर सुद ५ शुक्रवार दिनांक ५-१२-८६ के दिन मुण्डारा में परम पूज्य प्राचार्य श्री कंचनसागरसूरिजी म. सा. आदि पधारते हुए। दोनों पूज्यपाद प्राचार्य म. सा. का सुभग सम्मिलन होने से श्रीसंघ के आनन्द में अभिवृद्धि हुई ।
(८) मागशर सुद ११ गुरुवार दिनांक ११-१२-८६ के दिन पूज्यपाद आचार्य म. सा. की पावन निश्रा में मौन एकादशी की सुन्दर पाराधना श्रीसंघ ने की।
(8) मागशर सुद (पहली) १३ शनिवार दिनांक १३-१२-८६ के दिन परम पूज्य आचार्यदेव के व्याख्यान में बाली से आये हुए एक सद्गृहस्थ ने संघपूजा की।
(१०) मागशर सुद (दूसरी) १३ शनिवार दिनांक १४-१२-८६ के दिन शा. चम्पालाल करमचन्द सोनींगरा ने श्री वर्धमान तप की ५१, ५२, ५३ ये तीन अोली एक साथ में की थी। उनके पारणा के प्रसंग पर पूज्यपाद आचार्यदेव श्रीमद् विजय सुशील सूरीश्वरजी म. सा. ने चतुर्विध संघ समेत बाजते-गाजते उन्हीं के घर पर पगलां
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