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भाई-बहिनों के अत्तर वायणा हुए तथा मुण्डारा श्रीजैनसंघ का स्वामीवात्सल्य हुआ।
(४) मागशर (कात्तिक) वद ११ शुक्रवार दिनांक २८-११-८६ के दिन पूज्यपाद प्राचार्यदेव श्रीमद् विजय सुशीलसूरीश्वरजी म. सा. की शुभ निश्रा में शा. बस्तीमल रायचन्दजी की ओर से श्री उपधान तप का प्रारम्भ हुआ, जिसमें प्रथम मुहूर्त में श्री उपधान तप की आराधना में ८५ भाई-बहिनों ने प्रवेश किया। प्रतिदिन जिनप्रवचन आदि का कार्यक्रम चालू रहा। श्रीसंघ को तथा उपधानवाही भाई-बहिनों आदि को परम पूज्य
आचार्य म. सा., पूज्य उपाध्याय श्री विनोद विजयजी गणी .म. सा. तथा पूज्य मुनिराज श्री जिनोत्तम विजयजी म. के प्रवचनों का लाभ सुन्दर मिलता रहा।
(५) मागशर (कात्तिक) वद १३ शनिवार दिनांक २६-११-८६ के दिन शा. पृथ्वीराज अनराजजी के घर पर प. पू. प्रा. म. सा. ने चतुर्विध संघ सहित बाजते-गाजते पगलां किये। वहाँ पर ज्ञानपूजन, मांगलिक तथा प्रतिज्ञा के बाद एक-एक रुपये की प्रभावना हुई।
(६) मागशर (कात्तिक) वद १४ रविवार दिनांक
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