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________________ * सातवें गणधर श्रीमौर्यपुत्र है। ____'देव का सन्देह-संशय' पूर्वोक्त श्रीइन्द्रभूति आदि छह अग्रजों को प्रवजितदीक्षित हुए सुनकर सातवें श्रीमौर्यपुत्र नामक विप्र पण्डित ने भी विचार किया कि जिनके श्रीइन्द्रभूति प्रादि छह अग्रज विप्रपण्डित अपने शिष्य-परिवार के साथ वहाँ जाकर शिष्य बने, वे मेरे भी पूज्य ही हैं। मैं भी अपने शिष्य-परिवार सहित वहाँ शीघ्र जाऊँ और अपने अन्तःकरण में विद्यमान सन्देह-संशय को दूर करूं। इस तरह विचार कर श्रीमौर्यपुत्र विप्र पण्डित भो अपने साढ़े तीन सौ विद्यार्थियों के परिवार सहित सर्वज्ञ विभु श्रीमहावीर भगवान के पास आये । उसो समय भगवान ने भी मधुरवाणी से उसके नाम-गोत्र का उच्चारण करते हुए उसको कहा "अथ देवविषयसन्देह-संयुतं मौर्यपुत्रनामानम् । ऊचे विभुर्यथास्थं, वेदार्थ कि न भावयसि ? ॥ ( १०७ )
SR No.002334
Book TitleGandharwad Kavyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSushilsuri
PublisherSushilsuri Jain Gyanmandiram
Publication Year1987
Total Pages442
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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