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________________ १ प्रकाशकीय-निवेदन है mmmmmmmmmmmmmmmmms 'श्रीगणधरवादकाव्यम्' (संस्कृतश्लोक - पद्यमयम्) 'श्रीगणधरवादः' (संस्कृतभाषामयः) तथा 'श्रीगणधरवाद' '(हिन्दी भाषामय) एवं श्रीगणधर जीवन-तालिका (हिन्दी भाषामय) युक्त ऐसे इस नाम से समलंकृत यह अनुपम ग्रन्थ, विश्ववन्द्य विश्वविभु श्रमणभगवान महावीर परमात्मा के मुख्य अन्तिषद् एवं प्रथम गणधर श्रुतकेवली श्रीइन्द्रभूतिगौतमस्वामी महाराजा के २५०० वर्ष समापन की पुण्यस्मृति में प्रकाशित करते हुए हमें अतिप्रानन्द हो रहा है। - इस ग्रन्थ के प्रणेता परमपूज्य शासनसम्राट् समुदाय के सुप्रसिद्ध जैनधर्मदिवाकर-शासनरत्न-तीर्थप्रभावक-राजस्थानदीपक - मरुधरदेशोद्धारक - शास्त्रविशारद - साहित्यरत्नकविभूषण-बालब्रह्मचारी पूज्यपाद प्राचार्यदेव श्रीमद्विजयसुशीलसूरीश्वरजी म. सा. हैं। अनंतलब्धिनिधान श्रीगौतमस्वामीजी गणधर महाराजा के २५०० वर्ष समापन की पुण्य स्मृति के उपलक्ष में 'श्रीगणधरवादकाव्य' की : अठारह :
SR No.002334
Book TitleGandharwad Kavyam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSushilsuri
PublisherSushilsuri Jain Gyanmandiram
Publication Year1987
Total Pages442
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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