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(७) भूतावेश होने से भूत के आधीन चेष्टा होती है। उसी प्रकार शरीर में होने वाली चेष्टाएँ आत्मा के आधीन होती हैं तथा भूत के नष्ट होने पर चेष्टा नहीं होती वैसे ही आत्मा के जाने पर शरीर भी निश्चेष्ट हो जाता है।
(८) शरीर रूपी घर को तथा उसमें रही हुई सारी मशीनरी, मस्तक, आँख, कान, नाक, जीभ और स्पर्शेन्द्रिय, हाथ-पाँव, सिर में संदेश कार्यालय तथा संदेशवाहक ज्ञानतन्तु, गले-कण्ठ में वाद्य यन्त्र, अन्तःकरण-हृदय में जीवनशक्तियाँ तथा उसके नीचे के विभाग में स्टोर और महानसरसोई स्थान, फिर नीचे स्थित मूत्र-थैली और मल इत्यादि विचित्र प्रकार के कारखाने को किसने बनाया ? और इन सब का संचालन करने वाला कौन ? तो कहना ही पड़ेगा कि 'आत्मा'। कारखाना बनाने वाला और इन सब का संचालन करने वाला आत्मा ही है ।
__(8) जैसे शब्द बन्द कमरों में से, भोयरा में से या कोठी में से बाहर निकलता है तथा दूसरे कक्ष में प्रवेश करता है, वैसे ही आत्मा भी शरीर में से बहिर्गमन करती है और प्रवेश भी करती है। तो भी आत्मा को अरूपी होने से प्रत्यक्ष नहीं देख सकते।
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