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कारण कि अनुमान प्रत्यक्षपूर्वक प्रवर्तता है। अनुमान तीन प्रकार का है-(१) कारण-कार्य अनुमान, (२) कार्यकारण अनुमान तथा (३) सामान्यतो दृष्ट अनुमान । इन तीनों में से एक भी अनुमान प्रात्मा की सिद्धि के सम्बन्ध में नहीं मिलता। क्योंकि प्रात्मा का कोई कारण नहीं दीखता, कोई कार्य नहीं दीखता या कोई साथी नहीं दीखता, जिसके द्वारा आत्मा का अनुमान किया जाये। जैसे
(१) आकाश में विद्यमान घनघोर काले बादल वर्षा के सूचक होते हैं। इनसे कृषक वर्षा रूपी कार्य का अनुमान करते हैं। वैसे इधर प्रात्मा का कोई कारण नहीं दिखाई देला है।
(२) जैसे कार्य रूपी धुआँ देख कर कारण रूपी अग्नि का अनुमान होता है वैसा इधर आत्मा में नहीं।
(३) जहाँ पर दो वस्तुएँ एक-दूसरे की कार्य-कारण नहीं होने पर भी एक-दूसरे में व्याप्त होती हैं, वहाँ पर एक वस्तु देखकर दूसरी वस्तु का अनुमान हो सकता है । जंगल में जैसे सिंह की गर्जना से गुफा का अनुमान होता है, वैसे इधर आत्मा के विषय में नहीं देखा जाता है ।
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