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प्रमाण बता रहे हैं- कारण कि प्रमारण विना 'जीव - श्रात्मा प्रसिद्ध है ।'
प्रमाण अनेक हैं । जैसे प्रत्यक्ष, अनुमान, उपमान, अर्थापत्ति, सम्भव तथा आगम इत्यादि । इन प्रत्यक्षादि प्रमाणों से जीव आत्मा की सिद्धि नहीं होती है ।
( १ ) प्रत्यक्ष प्रमारण - इस प्रमाण से जीव आत्मा की सिद्धि नहीं होती । कारण कि वस्तु को प्रत्यक्ष करने के लिए स्पर्शेन्द्रियादि पाँच इन्द्रियाँ हैं । इनमें से एक भी इन्द्रिय जीवात्मा का अनुभव नहीं कर सकती है । जैसे ग्रात्मा घटपटादिक की भाँति दृष्टिगम्य नहीं है, वैसे ही आत्मा देखी या जानी नहीं जा सकती ।
इस सम्बन्ध में प्रश्न यह है कि जब जीव प्रत्यक्ष दिखाई नहीं देता तो फिर इसको कैसे मानें ? यद्यपि परमारण, अप्रत्यक्ष है फिर भी इनके कार्य घटादि के रूप में प्रत्यक्ष दिखाई देते हैं; किन्तु जीव तो किसी कार्य रूप में भी दृष्टिगोचर नहीं होता है । इसलिये इसका अस्तित्व कैसे हो सकता है ?
(२) अनुमान प्रमाण - इस प्रमाण से भी आत्मा की सिद्धि नहीं होती । ग्रर्थात् आत्मा का ज्ञान नहीं होता । ( ३७)
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