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भी न देख सके ऐसा तीव्ररुक् यानी तीव्र कान्ति वाला होता है और ये तो सौम्य कान्ति वाले हैं, इनको सुखपूर्वक देख सकते हैं। अर्थात् सूर्य तो देखने वाले को तीव्र ताप से तप्त कर देता है और इन्हें तो जैसे देखते हैं वैसे अधिक शीतलता का अनुभव होता है। इसलिये ये सूर्य भी नहीं हैं।
(३) क्या ये मेरु हैं ? नहीं। मेरु तो अत्यन्त कठिन है और ये अति सुकोमल हैं। अर्थात् इनका देहशरीर तो मक्खन के समान कोमल एवं सुकुमार है । इसलिये ये मेरु भी नहीं हैं।
(४) क्या ये विष्णु हैं ? नहीं। विष्ण, तो श्याम-काले वर्ण वाला है और ये तो सुवर्णवर्णा हैं । अर्थात् सुवर्ण जैसा देदीप्यमान वर्ण है इनका, इसलिये ये विष्ण भी नहीं।
(५) क्या ये ब्रह्मा हैं ? नहीं। ब्रह्मा तो वृद्ध हैं और ये तो युवा-युवान हैं। इसलिये ये ब्रह्मा भी नहीं ।
(६) क्या ये शंकर हैं ? नहीं। महेश-शंकर तो शरीर पर राख रखते हैं और हाथ तथा गले में सर्प रखते
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