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(१८) 'हे वादिसुरसुरेन्द्र !' . वादी रूपी सुरों के लिये सुरेन्द्र के समान हो ।
(१६) 'हे वादिगरुडगोविन्द !' वादो रूपी गरुड़ के लिये गोविन्द-कृष्ण के समान हो ।
(२०) 'हे वादिजनराजान !' वादी रूप जन-लोक के लिये नृप-राजा के समान हो।
(२१) 'हे वादिकंसकहान !' वादी रूपी कंस के लिये कृष्ण के तुल्य हो ।
(२२) हे वादिहरिणहरे !' वादी रूपी हरिण के लिये सिंह के समान हो ।
(२३) 'हे वादिज्वरधन्वंतरे !' वादी रूपी ज्वर के लिये धन्वंतरि वैद्य के तुल्य हो ।
(२४) 'हे वादियूथमल्ल !' वादी के यूथों के लिये मल्ल के समान हो।
(२५) 'हे वादिहृदयशल्य !' वादियों के हृदय के लिये शल्य के समान हो।
(२६) 'हे वादिगणजीपक !' वादिसमूह को जीपक के समान हो।
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