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(8) 'हे वादिशिरःकाल !' वादियों के शिर-मस्तक पर काल के जैसे हो।
(१०) 'हे वादिकदलीकृपाण !' वादी रूपी कदली वृक्ष के लिये कृपाण-तलवार के समान हो।
(११) 'हे वादितमोभारण !' वादी रूपी अन्धकार को दूर करने के लिये सूर्य के समान हो ।
(१२) 'हे वादिगोधूमघरट्ट !' वादी रूपी गोधूमगेहूँ को भरड़ने में घट्टी के समान हो ।
(१३) 'हे मदितवादिमरट्ट !' वादी रूपी मरट्ट का मर्दन करने वाले हो।
(१४) 'हे वादिघटमुद्गर !' . वादी रूपी घट को फोड़ने के लिये मुद्गर के समान हो ।
(१५), 'हे वादिघूकभास्कर !' वादी रूपी घूकउल्लू को अन्धा करने के लिये सूर्य के सदृश हो। .
(१६) 'हे वादिसमुद्रागस्त्य !' वादी रूपी समुद्र का पान करने के लिये अगस्त्य ऋषि के तुल्य हो। .' (१७) 'हे वादितरून्मूलनहस्तिन् !' वादी रूपी वृक्ष का उन्मूलन करने के लिये हाथी के समान हो ।
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